मंगरेमऊ उर्स में कव्वाल गुलाम हबीब ने बिखेरा जलवा – कव्वाला ने भी सुनाए शानदार कलाम

खागा/फतेहपुर। हजरत सैयद शाह मंगरे बाबा रहमतुल्लाह अलैह मंगरेमऊ का सालाना उर्स में जाने-माने कव्वाल गुलाम हबीब पेंटर अलीगढ़ तथा कव्वाला कानपुर की शीबा परवीन ने शानदार कलाम पेश किए। 36 वें उर्स मुकद्दस की व्यापक तैयारियां की गई थीं। मंगरे शाह बाबा की मजार को दुल्हन की तरह सजाया गया था। जहां अकीदतमंद तवाफ कर रहे थे। सुरक्षा की दृष्टि से थानाध्यक्ष के नेतृत्व में भारी पुलिस बल मौजूद रहा। मां की अजमत का बयान करते हुए कव्वाल ने नज्म सुनाई तो सामईन की आंखें नम हो गईं।
प्रधान अनीस अहमद एवं मोहम्मद हसन के नेतृत्व में महबूब आलम, दिलशाद अहमद, मोहम्मद कलीम, अकबर अली, मोहम्मद हसीब, शहजाद अहमद, मोहम्मद अली, रईस उल्ला, दोस्त मोहम्मद, मोहम्मद अनीस, अबरार अहमद आदि अनेक लोग कार्यक्रम में सहयोग कर रहे थे। उर्स मुकद्दस के मौके पर बाबा की मजार को दुल्हन की तरह सजाया गया था। हजारों हजार की भीड़ ने उर्स मुबारक के मौके पर मंगरे शाह बाबा से दुआएं ली और कव्वाली को लुत्फ उठाया। थानाध्यक्ष रणजीत बहादुर सिंह के नेतृत्व में भारी पुलिस बल के बीच अकीदतमंद उर्स मुबारक में बड़ी संख्या में शामिल हुए। रात नौ बजे कव्वाली के प्रोग्राम के पहले दस बजे दिन में कुरआन ख्वानी तथा चार बजे शाम को गागर शरीफ का आयोजन हुआ। कव्वाली कला मशहूर फनकार रहे हबीब पेंटर के खानदान से ताल्लुक रखने वाले गुलाम हबीब पेंटर ने कव्वाली की शुरुआत हम्द, नात से की। कव्वाला शिवा परवीन ने भी खुदा पाक को याद करते हुए रसूल अल्लाह के शान में कलाम पेश किए। बाद में दोनों फनकारों ने एक से बढ़कर एक गजलें पेश कर सुनने वालों को महजूज आनंदित कर दिया। अपनी फनकारी से सामईन को बेहद मुतासिर करते हुए गुलाम हबीब पेंटर ने-क्यों भटकता फिरूं जमाने में, क्या कमी है तेरे खजाने में, जब भी सोचा कि रूबरू तू है, लुत्फ आया है सर झुकाने में। हिंदुस्तान से अच्छी मिट्टी दुनिया भर में कहीं नहीं। हिंदी कलाम-बहुत कठिन है डगर पनघट की। हुसैनी कलाम-दोनों जहां में होता है चर्चा हुसैन का, कितना बुलंद वाला है रुतबा हुसैन का। दाना दाना मेरे हुसैन का है, दिल दीवाना हसन हुसैन का है। ये जो हम ताजिया बनाते हैं, याद आना मेरे हुसैन का है। बाबे खैबर उखाड़ा है जिसने, ऐसा बाबा मेरे हुसैन का है। कोई पूछे ये दौर किसका है, तुम बताना मेरे हुसैन का है। कोई जहरा के अश्क मुझको दे,ये खजाना मेरे हुसैन का है। हर पल मां देती है दुआएं, मां रहमत की कुंजी है, मां की खिदमत कर ले बंदे मां जन्नत की कुंजी है, जैसे कलाम सुना कर श्रोताओं का दिल जीत लिया। कानपुर की जानी-मानी कव्वाली शिवा परवीन नदी अपने हुनर से लोगों को प्रभावित किया-सारे वलियों की यही है पुकार। मालिक ने अपने नूर का जलवा दिखा दिया, सब नूर को मिला के मोहम्मद बना दिया, है मोहम्मद सा कोई नहीं। प्रोग्राम के एनाउंसर समीउल्लाह नरौली रहे। इस मौके पर प्रधान अशफाक खान गुड्डू, पत्रकार शहंशाह आब्दी, कवि एवं शायर शिवशरण बंधु, राजेश यादव आदि मौजूद रहे।

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