जागरूकता: अब दूसरों को समझा रहे फाइलेरिया की घातकता – पेशेंट सपोर्ट ग्रुप से जुड़ कर मरीज ले रहे चिकित्सा का लाभ – शिक्षकों, प्रबुद्ध लोगों, राशन डीलर, मरीजों और ग्रामीणों तक पहुंचा रहे संदेश

फतेहपुर। तेलियानी विकास खंड के कांधी निवासी नसरीन 35 वर्ष का 15 वर्ष से बायां पैर फाइलेरिया से ग्रस्त है। उन्हें इससे राहत की कोई उम्मीद नहीं थी। झाड़-फूंक, झोलाछाप और निजी अस्पतालों के चक्कर में बहुत पैसा और समय लगाया लेकिन कोई आराम नहीं मिला। कुछ महीने पहले फाइलेरिया पेशेंट सर्पाेट ग्रुप पीएसजी के संपर्क में आईं और सरकारी स्वास्थ्य सुविधा से जुड़कर प्रभावित अंगों की सही तरीके से सफाई और व्यायाम के बारे में जाना। वह बताती हैं कि इसे अपनाने से जीवन कुछ सरल हो गया। अब दूसरों को भी फाइलेरिया से बचाव के बारे में जागरूक कर रही हूं। वर्तमान में राधा कृष्ण पेशेंट सर्पाेट ग्रुप की सदस्य भी हूं।
गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग और ग्रुप के सदस्य गांव के शिक्षकों, प्रबुद्ध लोगों बच्चों राशन डीलर मरीजों और ग्रामीणों तक इस बीमारी के बारे में जरूरी संदेश पहुंचा रहे हैं। पीएसजी के सदस्यों की बैठकों के बाद लोग बीमारी की गंभीरता समझने लगे हैं। जागरूकता का वातावरण तैयार होने लगा है। तेलियानी विकास खंड के छुतुवापुर गांव की 32 वर्षीय फाइलेरिया मरीज अंकिता बताती हैं कि उन्हें 10 साल से बाएं पैर में हाथी पांव की समस्या है। कई निजी डाक्टरों को दिखाया लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। बरमदेव पीएसजी से जुडने के बाद पता चला कि सरकारी अस्पतालों में दवा पाना उनका अधिकार है। इसके बाद अब हुसेनगंज सीएचसी से दवाएं लेना शुरू किया है। भिटौरा ब्लाक के बडागांव गांव के 65 वर्षीय ज्ञानमती बीते 25 वर्षों से फाइलेरिया से पीड़ित हैं। उनका दाहिना पैर हाथी पांव हो गया है। वह दुर्गा पेशेंट सपोर्ट ग्रुप की सदस्य हैं। वह बताती हैं कि जब से मुझे यह जानकारी हुई है कि फाइलेरिया बीमारी मच्छर के काटने से होती है तब से पूरा परिवार मच्छरों से बचने के लिये मच्छरदानी में सोता है। लक्ष्मी नरायण पेशेंट सपोर्ट ग्रुप की सदस्य 52 वर्षीया कल्लो दवी माया देवी बीते 20 वर्षों से फाइलेरिया ग्रस्त हैं। उनका दाहिना पैर हाथी पांव हो गया है। वह रूग्णता प्रबंधन व दिव्यांगता निवारण एमएमडीपी की ट्रेनिंग भी ले रही हैं। वह बताती हैं कि हाथी पांव की देखभाल साफ सफाई और पैर धोने व पोछने की जानकारी उन्हें समूह से जुड़ने के बाद ही मिली है। इससे काफी लाभ भी हुआ है। जिले में 3097 हाथी पांव और 1031 मरीज हाईड्रोशील के है। जिला मलेरिया अधिकारी सुजाता ठाकुर ने बताया कि जिले में सीफार की ओर से बनाये गये पेशेंट सपोर्ट ग्रुप का मरीजों का बहुत लाभ मिल रहा है। फाइलेरिया मरीजों में जागरूकता आई है। ग्रामीण स्तर पर प्रधानों और आशाओं का भी सहयोग मिल रहा है।
इनसेट-
दूसरे गांवों में भी बनेंगे नेटवर्क
पीएचसी कोराई के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ अतुल कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि अभी क्षेत्र के पांच गांवों में भी समूहों का गठन कर मरीजों और ग्रामीणों को फाइलेरिया बीमारी के प्रति जागरूक किया जाएगा। इसका असर न सिर्फ इन गांवों में बल्कि आसपास के गांवों में भी देखने को मिलेगा।
इनसेट-
फाइलेरिया के लक्षण
फाइलेरिया संक्रमित मच्छरों के काटने के बाद व्यक्ति को बहुत सामान्य लक्षण दिखते हैं। अचानक बुखार आनाए हाथ पैरों में खुजली होना एलर्जी और त्वचा की समस्या स्नोफीलिया हाथों में सूजन पैरों में सूजन के कारण पैर बहुत मोटा हो जाना पुरुषों के जननांग और उसके आसपास दर्द व सूजन होना पुरुषों के अंडकोष व महिलाओं के स्तन में सूजन आना फाइलेरिया के लक्षण है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.