फ्रिज, टीवी, मोबाइल मरम्मत कराना आपका अधिकार, कंपनी कोई बहाना नहीं बना सकती, जानिए राइट टु रिपेयर पोर्टल कैसे करता है काम

 

 

इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे, फ्रिज, टीवी, मोबाइल, लैपटॉप खरीदने से पहले आप किन बातों का ध्यान रखते हैं?

  • प्रोडक्ट का रिव्यू
  • वारंटी और गारंटी
  • सर्विस सेंटर
  • कस्टमर केयर

इन सब बातों को चेक करने के बाद अगर आपने कोई प्रोडक्ट खरीद लिया और कुछ दिनों के बाद वो खराब हो जाए तब आप क्या करते हैं?

अगर वारंटी है तो प्रोडक्ट सर्विस सेंटर में ले जाकर रिपेयर करवाते हैं, सही हो गया तो ठीक, वर्ना एक बार लोकल मार्केट में उसे रिपेयर करवाने की कोशिश करेंगे।

अगर सर्विस सेंटर वाले ने रिपेयर से मना कर दिया या फिर आपको यह कंविंस कर दिया कि यह प्रोडक्ट अब नहीं बन पाएगा, इसे रिप्लेस कर दें। तब आप क्या करते हैं?

क्या करेंगे, प्रोडक्ट को रिप्लेस करने की सोचेंगे। नया प्रोडक्ट खरीदेंगे।

रुक जाएं, अब आपको ऐसा करने की जरूरत नहीं है। ग्राहकों को ऐसी सिचुएशन से बचाने के लिए भारत सरकार ने हाल ही में राइट टु रिपेयर पोर्टल को लाइव किया है।

जिसकी जानकारी बहुत कम लोगों को है। आइए जानते हैं कि आम पब्लिक को इससे क्या फायदा होगा।

सवाल: क्या है ये राइट टु रिपेयर पोर्टल?
जवाब:
 मिनिस्ट्री ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स, फूड एंड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन ने राइट टू रिपेयर पोर्टल बनाया है।

इस पोर्टल का मकसद कंज्यूमर यानी ग्राहकों को किसी भी प्रोडक्ट के रिपेयर से जुड़ी जानकारी देना है। यानी इस पोर्टल से आप खराब मोबाइल फोन, बाइक, वॉशिंग मशीन के पुराने से पुराने पार्ट के बारे में पता कर सकते हैं।

कंपनी सर्विस सेंटर वाले प्रोडक्ट का पार्ट नहीं मिल रहा है, फलां प्रोडक्ट बनना बंद हो गया, उसकी मरम्मत अब नहीं हो सकती और स्पेयर पार्ट नहीं मिलेगा ये बहाने बनाकर कंज्यूमर को टाल नहीं सकते हैं।

कंपनियां किसी प्रोडक्ट को बनाने के लिए कस्टमर्स से एक्स्ट्रा पैसे भी वसूल नहीं पाएंगी।

कुल मिलाकर इसमें रिपेयर और सर्विस से जुड़े तमाम अधिकार मौजूद है।

सवाल: इसे लॉन्च करने के पीछे क्या वजह है?
जवाब: 
हर घर में कुछ न कुछ इलेक्ट्रॉनिक सामान होता है। उसे रिपेयर कराने के लिए आप सर्विस सेंटर, लोकल रिपेयरिंग शॉप पर जाते हैं।

कई बार तो इन जगहों पर जाने से प्रोडक्ट सही हो जाता है। तो कई बार हम बेवकूफ बन जाते हैंI सर्विस सेंटर वाला या रिपेयर करने वाला आपके समान को बेकार बता देता है। इसके बाद हम नए प्रोडक्ट खरीदते हैं और पुराना प्रोडक्ट ई-कचरा बन जाता है।

ऐसे में कस्टमर को बेवकूफ बनने से बचने और ई-कचरा कम करने के लिए सरकार ने इस पोर्टल को राइट टू रिपेयर पॉलिसी के तहत लॉन्च किया है।

सवाल: ये राइट टु रिपेयर पॉलिसी क्या है?
जवाब:
 बीते कुछ सालों से कंपनियां जान-बूझकर ऐसे प्रोडक्ट बना रही हैं जो ज्यादा समय तक नहीं चले। मतलब कि कुछ महीने या कुछ साल चलकर खराब हो जा रहे हैं।

जब प्रोडक्ट खराब हो जाएगा तो कस्टमर उसे रिपेयर करवाने की कोशिश करेगा।

अगर प्रोडक्ट के पार्ट्स नहीं मिलेंगे तो उसे फिर से नया प्रोडक्ट खरीदना पड़ेगा। इससे कंपनी का बिजनेस तेजी से आगे बढ़ेगा और कंपनियों को प्रॉफिट होगा।

इन कंडीशन में लोगों की मेहनत की कमाई खराब होती है और प्रोडक्ट से जुड़ी उनकी फीलिंग्स भी हर्ट होती हैं। साथ ही ई-कचरे से पर्यावरण को नुकसान होता है।

दुनिया के कई देशों ने इस बात को समझा और कंपनियों पर अच्छे प्रोडक्ट बनाने का प्रेशर भी डाला है। जिसके चलते कई देशों ने राइट टू रिपेयर पॉलिसी लागू की।

सवाल: किन देशों में है राइट टु रिपेयर पॉलिसी?
जवाब:
 अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ पहले ही इसे लागू कर चुके हैं।

सवाल: इस पोर्टल के तहत किस ब्रांड के सामान रिपेयर करा सकते हैं?
जवाब: 
सरकार के राइट टू रिपेयर पोर्टल पर कई कंपनियां रजिस्टर्ड हैं। यहां इनके पुराने से पुराने पार्ट आसानी से मिल जाएंगे। जहां से खरीद तो सकते ही हैं और उनकी कॉस्ट के बारे में भी जानकारी ले सकते हैं।

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