हिंसा के बीच NIT-मणिपुर में फंसे UP के 60 स्टूडेंट्स, 54 लोगों की गई जान, हालात संभालने 10 हजार जवान उतरे सड़कों पर
मणिपुर में भड़की हिंसा के बीच यूपी के करीब 60 स्टूडेंट्स NIT मणिपुर के हॉस्टल में फंसे हैं। 4 दिन से खिड़कियां लाइट बंद करके स्टूडेंट्स हॉस्टल में कैद हैं। न ठीक से खाने को खाना मिल रहा है न ही पानी। सप्लाई वाटर में कुछ लोगों ने जहर मिला दिया। छात्रों के मुताबिक, आस पास 54 लोगों की मौत हो चुकी है।
फोन पर परिवार से हुई बातचीत में छात्रों ने बताया कि कानों में केवल बम फटने और रोने-चिल्लाने की आवाजें आ रहीं हैं। हम सभी लोग डरे हैं। तेलंगाना और ओडिशा की सरकार ने अपने विमान और पुलिस फोर्स लगाकर छात्रों को रेस्क्यू कर लिया है। अब यहां यूपी के ही सबसे ज्यादा स्टूडेंट्स फंसे हैं।
सीएम योगी ने गृह विभाग को मणिपुर में फंसे छात्रों की मदद का निर्देश दिया है। प्रमुख सचिव संजय प्रसाद ने मणिपुर के मुख्य सचिव से वार्ता कर संभव मदद का अनुरोध किया है। यूपी के राहत आयुक्त कार्यालय को मणिपुर सरकार से समन्वय की जिम्मेदारी सौंपी है।
मणिपुर में इंटरनेट बंद, बचकर निकली छात्रा ने बताए हालात
मणिपुर में फंसे कई छात्र-छात्राओं से फोन पर बातचीत की। वहां पर इंटरनेट ठप था, इसलिए कोई लाइव फोटो नहीं मिल सकी। मगर, शुक्रवार को वहां से बचकर निकली एक सीनियर छात्रा शिवानी ठाकुर ने अपने फोन में जो विजुअल बनाए थे, उसे हमारे साथ शेयर किया। शिवानी यूपी के एटा की रहने वाली है। शनिवार रात से कोलकाता में हैं। वह अपने साथियों को निकालने के लिए प्रयास कर रहीं हैं।
“ऐसा लग रहा है जैसे बाहर युद्ध चल रहा हो”
झारखंड की रहने वाली B-Tech फर्स्ट ईयर की छात्रा प्रियांशु भी मणिपुर NIT के हॉस्टल में फंसी हैं। टेलीफोन से बातचीत में उन्होंने कहा, “यहां गर्ल्स हॉस्टल की करीब 15 लड़कियां और ब्वायज हॉस्टल के 60 से ज्यादा लड़के शरणार्थियों जैसा जीवन गुजार रहे हैं। हॉस्टल के चारों ओर युद्ध जैसा माहौल बना हुआ है। बैक-टू-बैक बम और गोलियां चल रहीं हैं। शाम 5 बजे तक हॉस्टल के सभी कमरों, गैलरी, हॉल और गेट की लाइट ऑफ कर दी जाती है। ताकि, हिंसा करने वाले लोगों को यह पता न चल सके कि अंदर कोई रह रहा है। पूरी स्थिति पैनिक हो चुकी है। इंटरनेट ठप है।”
“हम जहरीला पानी पीकर मरना नहीं चाहते”
प्रियांशु कहती हैं, “तेलंगाना, ओडिशा और बंगाल समेत कई राज्यों ने अपने स्टेट के छात्रों को रेस्क्यू कर लिया है। हालांकि, यूपी और झारखंड के स्टूडेंट्स फंसे हैं। हमें यदि यहां से नहीं निकाला गया, तो कोई हिंसा का शिकार हो जाएगा तो जहरीला पानी पीकर बीमार हो जाएगा।”
“एक टाइम खाने को मिल रहा है”
बलिया के जितेंद्र कुमार भी NIT हॉस्टल में फंसे हैं। वह कहते हैं, “कॉलेज प्रशासन और मैनेजमेंट के पास अब इतना संसाधन नहीं है कि 80 बच्चों का खर्च और भोजन चला सके। हमें एक टाइम किसी तरह से कुछ खाने को मिल जा रहा है। हॉस्टलों में हमें शांति बनाकर रहना है। स्थिति बेहद लचर होती जा रही है। योगी सरकार पर हमें पूरा भरोसा है कि हमें रेस्क्यू करेंगे।”
वह आगे कहते हैं, “यहां हर वक्त बम और गोलियों की आवाज आती रहती है। समझ ही नहीं आता कि हालात कितने और बिगड़ेंगे। खाने-पीने का सामान धीरे-धीरे खर्च होता जा रहा है। अगर जल्द हम लोगों को नहीं निकला गया तो बहुत मुश्किल हो जाएगी।”
“टिकट मिल नहीं रहा, किराया 3 गुना तक हुआ”
मणिपुर में फंसे गोरखपुर के छात्र आशीष ने कहा, “मणिपुर से बाहर निकलने वाली फ्लाइट का किराया तीन गुना तक महंगा हो गया है। मणिपुर से गोरखपुर तक जाने में महज 7-8 हजार ही किराया लगता था। अब 20-30 हजार रुपए तक फ्लाइट की टिकट हो गई है। किसी को टिकट मिल ही नहीं रहा। वहीं, NIT से एयरपोर्ट तक जाने में भी काफी खतरा है। कोई भी उपद्रवी गाड़ियों पर बम पटक दे रहा है।”
पूरा हॉस्टल रात भर जागता है कि कोई अटैक न हो जाए
कानपुर के आवेग शर्मा ने कहा, “हम लोगों को हॉस्टल में ही छुप-छुप कर निकलना पड़ रहा है। न तो बाहर आवाज जाए और न ही कोई छतों पर टहलने जा पा रहा है। पैनिक सिचुएशन है। गाजियाबाद के अभिषेक ने बताया, “हम लोग रात-रात भर जाग कर चौकन्ना रहते हैं। हमें डर है कि कहीं रात में कहीं हॉस्टलों पर अटैक न हो जाए। बगल में ही एक मेडिकल कॉलेज को उड़ा दिया गया। यदि हमारे हॉस्टलों में भी हिंसा फैल जाएगी तो हम हॉस्टलों में सोए ही न रह जाए। यहां पर बम गोले दागकर किसी का भी घर फूंक दिया जा रहा है।”
यूपी के इन शहरों से फंसे हैं स्टूडेंट्स
लखनऊ के 9 स्टूडेंट्स, गोरखपुर से 6, कानपुर के 5, वाराणसी के 4, प्रयागराज से 3, गाजियाबाद से 3, अयोध्या से 3, अंबेडकर नगर से 2, जौनपुर से 2, मथुरा से 2, बरेली से 2 बाकी गाजीपुर, सीतापुर, गोंडा, महोबा, अलीगढ़, नोएडा, उन्नाव, बलिया, सुल्तानपुर, हापुड़, सहारनपुर, आगरा जिलों के छात्र-छात्राएं फंसे हैं। 18-20 स्टूडेंट्स किसी तरह से मणिपुर से निकल चुके हैं।