ईरान ने ईशनिंदा के आरोप में दो लोगों को फांसी पर लटका दिया गया है। ईरान की अदालतों को कवर करने वाली न्यायपालिका की वेबसाइट मिजान ने दो लोगों को सोमवार को फांसी देने की पुष्टि की है।
वेबसाइट मिजान ने बताया है, कि दो आरोपी यूसेफ मेहरदाद और सद्रोला फ़ाज़ेली ज़ारे को ईशनिंदा, इस्लाम धर्म, पैगंबर और अन्य इस्लामिक पवित्रता का अपमान करने के अपराधों के लिए फांसी दे दी गई है।
खतरनाक देश बना ईरान
ईरान उन मुस्लिम देशों में शामिल हो गया है, जहां एक के बाद एक लोगों को फांसी की सजा दी जा रही है और पाकिस्तान की तरह ईरान भी खतरनाक बन गया है। हालांकि, पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोप में अदालतों की तरफ से फांसी तो कम ही लोगों को दी गई है, लेकिन पाकिस्तान के कट्टरपंथी समाज में, ईशनिंदा के आरोप में लोगों की मॉब लिचिंग कर दी जाती है।
दो दिन पहले ही इमरान खान की पैगंबर से तुलना करने वाले एक मौलाना की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी है। वहीं, ईरान में भी दो दिन पहले एक ईरानी-स्वीडिश नागरिक को फांसी पर चढ़ा दिया है, जिसके पास दोहरी नागरिक थी। ईरानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरानी-स्वीडिश नागरिक को शनिवार को फांसी पर चढ़ाया गया, क्योंकि ईरान का मानना था, कि वो 2018 में ईरान में सैन्य परेड पर किए गये हमले का मास्टरमाइंड था।
ईरान में धड़ाधड़ लोगों को फांसी
आपको बता दें, कि लोगों को फांसी देने की वजह से ईरान की लगातार आलोचना की जा रही है, लेकिन वो बेधड़क लोगों को मौत के फंदे से लटका रहा है। ईरान में पिछले साल सितंबर महीने में 22 साल की कुर्द लड़की, महसा अमीनी की पुलिस हिरासत में संदिग्ध मौत के बाद प्रदर्शन शुरू हुआ था।
और माना जा रहा है, कि प्रदर्शन को कुचलने के लिए ईरान की इस्लामिक सरकार ने सौ से ज्यादा लोगों को फांसी दी। हालांकि, आधिकारिक तौर पर सिर्फ 2 लोगों को फांसी देने की पुष्टि की गई।
वहीं, एक मानवाधिकार समूह ने दावा किया है, कि पिछले 10 दिनों में ईरान में औसतन हर 6 घंटे पर एक शख्स को फांसी दी जा रही है। ईरान ह्यूमन राइट्स ने दावा किया है, कि ईरान सरकार इस साल अभी तक 194 लोगों को फांसी दे चुकी है। वहीं, पिछले 10 दिनों में 42 लोगों को फांसी दी गई है।
ईरान में सबसे ज्यादा मौत की सजा बलूचिस्तान के अल्पसंख्यकों को दी जा रही है।