ओडिशा में जानलेवा संक्रामक रोग एंथ्रेक्स के 12 मामले सामने आए हैं। इनमें से एक मरीज की उपचार के दौरान मौत हुई है जबकि दो अस्पताल में भर्ती हैं। बाकी नौ मरीजों की हालत स्थिर बताई जा रही है। यह जानकारी संक्रामक रोगों की निगरानी करने वाले एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को दी है, जिसके मुताबिक ओडिशा के कोरापुट जिले के तीन गांवों में ये मामले सामने आए हैं।
जानवरों के जरिये यह संक्रमण इंसानों तक पहुंचा है। ओडिशा के टेंटुली खेड़ा गांव में तीन दिन पहले 12 गांव वाले अचानक से बीमार पड़ गए। उनके शरीर पर बीजाणु जैसी संरचनाएं दिखाई देने लगीं और फिर ये बीमारी पड़ोसी गुलिमुसा और दसमंतपुर गांवों में फैल गई। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमें एंथ्रेक्स के मामलों को लेकर सूचना मिली है। प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि टेंटुलिगुडा गांव में कुछ दिन पहले एक दावत हुई थी। यहां भोजन के कुछ समय बाद लोगों में एंथ्रेक्स के लक्षण दिखाई दिए।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, एंथ्रेक्स एक जानलेवा संक्रामक रोग है जो बेसिलस एन्थ्रासिस जीवाणुओं के कारण होता है। यह मानव के साथ-साथ घोड़ा, गाय, बकरी और भेड़ समेत कई जानवरों को भी प्रभावित कर सकता है। ओडिशा के चार जिले कोरापुट, रायगडा, मल्कानगिरी और सुंदरगढ़ में बीते छह साल में एंथ्रेक्स के 1,208 मामले सामने आए हैं और 436 लोगों की मौत हुई है।
स्वदेशी टीका भी मौजूद
नई दिल्ली स्थित आईजीआईबी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विनोद स्कारिया ने बताया कि इंसानों में एंथ्रेक्स के मामले काफी दुर्लभ हैं। ये एक गंभीर बीमारी है। यह संक्रमण आमतौर पर जानवरों को प्रभावित करता है। अच्छी बात यह है कि भारत के पास एंथ्रेक्स संक्रमण से बचाव के लिए स्वदेशी टीका भी मौजूद है, जिसे डीआरडीओ ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के शोधकर्त्ताओं के साथ मिलकर तैयार किया था।