शिंदे मुख्यमंत्री बने रहेंगे, सुप्रीम कोर्ट का फैसला

 

 

महाराष्ट्र में एक साल से चल रही राजनीतिक उठापठक आज थम गई। एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया। उन्होंने स्वेच्छा से इस्तीफा दिया था। ऐसे में कोर्ट इस्तीफा को रद्द तो नहीं कर सकता है। हम पुरानी सरकार को बहाल नहीं कर सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के फ्लोर टेस्ट को गलत भी ठहराया। अब स्पीकर को शिवसेना के 16 बागी विधायकों पर जल्द फैसला करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि सदन के स्पीकर द्वारा शिंदे गुट की ओर से प्रस्तावित स्पीकर गोगावले को चीफ व्हिप नियुक्त करना अवैध फैसला था। कोर्ट ने कहा कि स्पीकर को सिर्फ राजनीतिक दल की ओर से नियुक्त व्हिप को ही मान्यता देनी चाहिए थी।

राज्यपाल पर कोर्ट ने क्या कहा

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल के पास विधानसभा में फ्लोर टेस्ट बुलाने के लिए कोई पुख्ता आधार नहीं था। फ्लोर टेस्ट को किसी पार्टी के आंतरिक विवाद को सुलझाने के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते।

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि राज्यपाल के पास ऐसा कोई संचार नहीं था जिससे यह संकेत मिले कि असंतुष्ट विधायक सरकार से समर्थन वापस लेना चाहते हैं। राज्यपाल ने शिवसेना के विधायकों के एक गुट के प्रस्ताव पर भरोसा करके यह निष्कर्ष निकाला कि उद्धव ठाकरे अधिकांश विधायकों का समर्थन खो चुके है।

महाराष्ट्र में शिवसेना विधायकों की बगावत के बाद महाराष्ट्र विकास अघाड़ी गठबंधन सरकार पिछले साल जून में गिर गई थी। इसके बाद 30 जून को शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इसके खिलाफ उद्धव ठाकरे सुप्रीम कोर्ट गए। मामला पांच जजों की कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच को ट्रांसफर हुआ। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच इस पर फैसला सुना रही है।

पहले जान लेते हैं महाराष्ट्र की राजनीति से जुड़े इस केस में अब तक क्या हुआ…

17 फरवरी को पीठ ने शिवसेना के उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट की याचिकाओं पर सुनवाई की।

21 फरवरी से कोर्ट ने लगातार 9 दिन यह केस सुना था।

16 मार्च को सभी पक्षों की दलीलें पूरी होने पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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