कान्वेंट स्कूलों की तर्ज पर प्रदेश के मदरसों में प्री प्राइमरी कक्षाएं संचालित करने के लिए राज्य सरकार से मदद नहीं मिलेगी। इन कक्षाओं के लिए शिक्षकों की नियुक्ति से लेकर तमाम व्यवस्थाएं मदरसा प्रबंधन को खुद करनी होगी।
गौरतलब है कि उप्र मदरसा शिक्षा परिषद ने बीते साल जुलाई में मदरसों में नर्सरी, केजी, एलकेजी की तर्ज पर छोटे-छोटे बच्चों को शिक्षा देने का निर्णय लिया था ताकि खेल-खेल में बच्चों को ककहरा सिखाया जा सके। वर्तमान में परिषद से मान्यताप्राप्त मदरसों में बच्चों को कक्षा एक से प्रवेश दिया जाता है लेकिन प्री प्राइमरी कक्षाएं के शुरू होने से पांच साल से कम उम्र के बच्चों को भी मदरसों में प्रवेश दिया जा सकेगा।
अब परिषद ने स्पष्ट कर दिया है कि अपना संसाधन-अपना सिलेबस की तर्ज पर मदरसों को प्री-प्राइमरी कक्षाएं संचालित करने की अनुमति दी जाएगी। इसके तहत मान्यताप्राप्त अनुदानित, गैर अनुदानित मदरसों को प्री प्राइमरी कक्षाएं संचालित करने के लिए अनुमति इस प्रतिबंध के साथ दी जाएगी कि मदरसों के प्रबंधक, प्रबंध तंत्र अपने स्तर से सभी प्रकार के खर्च उठाएंगे। शिक्षकों की व्यवस्था भी खुद ही करेंगे।
मदरसा बोर्ड के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने बताया कि मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार जगमोहन सिंह ने इस संबंध में सभी जिलों के जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को पत्र भेज दिया है।