विधवा को 37 वर्षों के बाद भी नहीं मिला परिवारिक पेंशन का लाभ

 

मुन्ना बक्श ब्यूरो चीफ

पैलानी/बांदा। सन 1976 सेवाकाल में मृत हुए शिक्षक मेवा लाल गुप्त की पत्नी (विधवा) शांति देवी निवासी पैलानी बांदा को 37 वर्षों के बाद भी परिवारिक पेंशन का लाभ नियम होते हुए भी अधिकारियों की मनमानी के कारण नहीं दिया जा रहा है। शिक्षक विधवा शांति देवी ने आरोप लगाते हुए बताया कि मैंने मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश को पत्र भेजकर दिसंबर 2022 में मांग की थी कि मुझे पारिवारिक पेंशन का लाभ दिया जाए या इच्छा मृत्यु की अनुमति प्रदान की जाए अब तक ना तो पेनशन ही मिली और न ही इच्छा मृत्यु की अनुमति मिली, पुलिस के हस्तक्षेप की टेंशन जरूर मिल गई है शांति देवी ने बताया की मुख्यमंत्री जी को पत्र भेजने के बाद पुलिस घर में आई और मुझे वह मेरे लड़कों को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने पर मुकदमा कायम करने की धमकी देकर चली गई जब मुख्यमंत्री जी बांदा आए तो 9 मई को दिन भर पुलिस का पहरा मेरी निगरानी के लिए सायं 4:00 बजे तक बैठा दिया गया 8 मई को सायंकाल पूरा पुलिस फोर्स मेरे हाल-चाल लेने पहुची।शांति देवी ने कहा कि मैंने मुख्यमंत्री जो प्रदेश के मुखिया हैं उनके समक्ष पत्र लिखा लिखवा कर मांग की थी जो अब तक पूरी ना हुई मुझे आत्महत्या नहीं करना है ना ही मुझे किसी ने प्रेरित किया है मामला शिक्षा विभाग का है अनसुना करने वाले शिक्षा अधिकारियों पर दंडात्मक कार्यवाही का है परिवारिक पेंशन दिलाने का है पुलिस विभाग से कुछ लेना देना नहीं है फिर भी जबरन हस्तक्षेप किया जाना अनुचित है वैसे भी मैं 37 वर्षों से मांग करते करते परेशान हो चुकी हूं कूल्हे की हड्डी टूटने के कारण चलने फिरने में असमर्थ हूं आर्थिक तंगी रहती है, घिसट-घिसट कर मुश्किल से नित्य क्रियाएं कर पाती हूं दवा के लिए पैसे नहीं हैं 85 से 90 वर्ष की उम्र हो चुकी है जीवन का अंतिम पड़ाव है लेकिन यहां कोई न्याय देने वाला नहीं है कोई भी सरकार हो सुनने वाला कोई भी नहीं है बेसिक शिक्षा अधिनियम 1972 की अध्याय 7 पृष्ठ संख्या 95 के नियम 34 व 29 के अंतर्गत पेंशन दे है लेकिन विभाग इसका पालन नहीं कर रहा बेसिक शिक्षा सहायता प्राप्त संस्था है शासनादेश 6246 /15-8-3004(461)/77दि31 मार्च 1982के द्वारा 1-10-81से पारिवारिक पेंशन ना दिए जाने की शर्त को निरस्त करते हुए विधवा को आजीवन पेंशन देने की सुविधा है 31 मार्च 1982 के शासनादेश का स्पष्टीकरण भी शासनादेश संख्या 693/1-8-3004(461)84दि,16जून84 मे कर दिया गया, कि अध्यापक की मृत्यु 1-10-81 से पूर्व या बाद में हुई हो उसके आश्रितों को राज आज्ञा के प्रावधान के अनुसार परिवारिक पेंशन दी जाएगी लेकिन क्या बताएं अफसरशाही है पेंशन नहीं दी जा रही उन्हें उचित अनुचित से कोई लेना-देना नहीं नियम कानून को ताक पर रखकर की गई गलतियों का अनुसरण करके शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा मनमानी की जा रही है।

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