निकाय की जीत के असली चाणक्य

फतेहपुर। जनपद की दस नगर निकाय चुनाव में से सबसे दिलचस्प सीट सदर नगर पालिका की मानी जा रही थी। सपा के लिये उसके चुनाव उसके विकास के नाम पर किये जा रहे दावे का फैक्ट चेक था तो सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के लिये नाक का सवाल भी था। सूत्रों की माने तो सदर नगर पालिका जिताने का ज़िम्मा पूर्व सदर विधायक विक्रम सिंह व पूर्व मंत्री रणवेंद्र कुमार धुन्नी सिंह को सौंपा गया था। दोनों ही पूर्व माननीयों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी हालांकि दोनों ही पूर्व माननीय ने भाजपा प्रत्याशी को जिताने में कोई कसर नही छोड़ी पार्टी प्रत्याशी प्रमोद द्विवेदी के साथ लगातार जनसंपर्क कर उनके लिये वोट मांगे थे लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी वोटरों को रिझाने में कामयाब नही रहे।
इनसेट-1
इस मामले में भाजपा अध्यक्ष आशीष मिश्रा काफी सफल रहे हैं। प्रदेश नेतृत्व से जनपद के निकायों में जीत दिलाने की ज़िम्मेदारी को बखूबी अंजाम देते हुए भगवा ध्वज लहराकर पंचायत चुनाव एवं विधानसभा चुनाव की तरह जीत दर्ज कराकर एक बार फिर से अपना लोहा मनवा दिया।
इनसेट-2
निकाय चुनाव के ऐन मौके पर तत्कालीन जिलाध्यक्ष विपिन सिंह यादव की जगह पूर्व जिलाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह यादव को कमान मिलने के बाद टिकटों के वितरण पर उंगलियां भी उठाई गई। इस दौरान सपा जिलाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह यादव ने नगर से सभासदी में जुझारू कार्यकर्ताओं को टिकट में तरजीह देते हुए उन्हें चुनाव मैदान में उतारने के साथ ही अध्यक्ष पद पर राजकुमार मौर्या एडवोकेट को लड़ाने में कार्यकर्ताओं में आम सहमति बनाई व उनके प्रचार प्रसार के लिये टीमें गठित कर जीत के लिये फील्डिंग सजा दी। इस दौरान सपा जिलाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह यादव अधिवक्ता होने के नाते सपा प्रत्याशी एडवोकेट राजकुमार मौर्या के पक्ष में अधिवक्ताओं को लामबंद करने के साथ ही सपा कार्यकर्ताओं एवं समर्थकों को साधने में कामयाब रहे। सपा जिलाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह यादव की यह रणनीति कारगर साबित हुई और सपा सबसे कठिन सीट सदर नगर पालिका परिषद एक बार फिर से जीतने में कामयाब हो गयी।
इनसेट-3
सदर नगर पालिका परिषद अध्यक्ष नज़ाकत खातून के पुत्र एवं उनके प्रतिनिधि हाजी रज़ा को सदर सीट पर सपा की जीत का सबसे बड़ा मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। हाजी रज़ा सदर सीट से समाजवादी पार्टी से अध्यक्ष पद के सबसे प्रबल उम्मीदवार माने जा रहे थे। अध्यक्ष प्रतिनिधि रहते हुए हाजी रज़ा ने नगर पालिका बोर्ड के सदस्यों के साथ मिलकर शहर के विकास की अनेकों योजनाओ को अमली जामा पहनाया था। विकास के रास्ते हाजी रज़ा तेज़ी से आगे बढ़ रहे थे कि विधानसभा चुनाव के निकट भाजपा नेता फैज़ान रिज़वी से मारपीट का मामले में मुकदमा दर्ज होने के बाद उन्हें जेल जाना पड़ा। पूर्व में दर्ज अनेक मुकदमों की वजह से विकाय चुनाव के दौरान जिला प्रशासन ने उनपर जिला बदर की कार्रवाई कर दी। हाजी रज़ा पर प्रशासनिक कार्रवाई पर सपा ने निकाय चुनाव में सदर सीट से राजकुमार मौर्या को चुनाव मैदान में उतार दिया। वहीं जानकारों की माने तो सदर सीट पर बसपा से मो आसिफ चुनाव मैदान में उतारे गये थे ऐसे में मुस्लिम वोटो को मो आसिफ के पक्ष में जाने व भाजपा को लाभ मिलने के कयास लगाए जा रहे थे लेकिन भाजपा का यब दांव मामला उल्टा पड़ गया। हाजी रज़ा को जिला बदर कर चुनाव से दूर करने से सपा के पक्ष में सहानुभूति वाला वोट और जुड़ गया जो सत्ताधारी दल के लिये मुसीबत व सपा के लिये संजीवनी बन गया।

Leave A Reply

Your email address will not be published.