बॉलीवुड फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ 150 करोड़ रुपए कमाने के करीब है। UP, MP में CM कैबिनेट समेत देख-दिखा रहे हैं, तो पश्चिम बंगाल में ये बैन है। तमिलनाडु में सिनेमाघरों से हटाने पर विवाद है। सुप्रीम कोर्ट में भी इस पर सुनवाई चल रही है।
ये फिल्म इतना सीरियस मसला हो गई है कि महाराष्ट्र के अकोला में दो गुटों में विवाद हुआ और हिंसा भड़क गई। एक लड़के की मौत हो गई, गाड़ियां जला दी गईं और एक फीमेल कॉन्स्टेबल समेत 9 लोग घायल हो गए। जम्मू-कश्मीर के एक सरकारी मेडिकल कॉलेज में भी स्टूडेंट के दो गुटों में मारपीट हो गई।
सवाल यही है कि सच क्या है? क्या वाकई हिंदू लड़कियों को बरगलाकर धर्म परिवर्तन हुआ और फिर उन्होंने इस्लामिक स्टेट जॉइन कर लिया था। क्या सच में 32 हजार लड़कियां थीं, या फिर 3 ही थीं?
ये आश्रम चला रहे आचार्य केआर मनोज का दावा है कि उन्होंने ब्रेनवॉश की गईं 7 हजार लड़कियों की हिंदू धर्म में वापसी कराई है। यहीं हमें अनघा, श्रुति, आथिरा और अमृता मिलीं। सबके पास कहानियां हैं, लेकिन उनसे जुड़े सबूत नहीं। न कोई कागज, न शिकायत, धर्म किसने बदलवाया, उसका नाम तक याद नहीं।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, केरल की सिर्फ एक हिंदू लड़की निमिषा ने धर्म बदला और 2016 में ISIS जॉइन किया था। वो अभी अफगानिस्तान की जेल में है।
जाकिर नाइक के वीडियो देख आइमा अमीरा बनीं, घरवालों को काफिर कहती थीं
विजनना भारती विद्या केंद्र में सबसे पहले मेरी मुलाकात हुई अनघा जयगोपाल से। ब्राह्मण परिवार में जन्मीं अनघा त्रिशूर की रहने वाली हैं। माथे पर बिंदी, भभूत का टीका, गले में मोतियों की माला पहने हुए 30 साल की अनघा पेशे से फिजियोथेरेपिस्ट हैं। विजनना भारती विद्या केंद्र में सोशल मीडिया का काम देखती हैं। यहां आए लोगों का इलाज भी करती हैं।
दावा है कि अनघा 3 साल पहले तक आइमा अमीरा थीं। कानूनी तौर पर धर्म नहीं बदला, लेकिन इस्लाम का हर तौर-तरीका अपना लिया था। कुरान पढ़तीं, नमाज अदा करतीं, परिवारवालों को काफिर कहने लगी थीं। बिंदी लगाना छोड़ दिया, अच्छा गाती थीं, लेकिन बंद कर दिया, क्योंकि नाच-गाना इस्लाम में हराम है।
अनघा कहती हैं, ‘2013-14 में मैं हायर स्टडी के लिए एर्नाकुलम गई थी। वहां हॉस्टल में बातचीत के दौरान धर्म पर बात आ जाती थी। मेरे मुस्लिम दोस्त हर वक्त धर्म की बातें करते थे। मेरा मजाक उड़ाते। कहते थे- ‘अगर तुम कृष्ण की पूजा करोगी, तो शिव नाराज नहीं हो जाएंगे?’ मेरे पास कोई जवाब नहीं होता। तब वे मुझे इस्लाम के मायने समझाते। कहते तुम्हें सही धर्म में आना होगा।’
‘मैं इस्लाम में दिलचस्पी लेने लगी तो मुझे इस्लाम से जुड़ी किताबें देने लगे। इस्लामिक स्कॉलर जाकिर नाइक और एमएम अकबर के वीडियो दिखाते थे। उन लोगों के वीडियो दिखाते, जिन्होंने हिंदू धर्म छोड़कर इस्लाम अपना लिया था।’
‘एक दिन दोस्तों ने कहा कि नाम बदल लो। मैंने अपने लिए आइमा अमीरा नाम चुना। मैंने पूजा करना छोड़ दिया। परिवार से झगड़ने लगी, हिंदू शब्द से नफरत होने लगी थी। माता-पिता ने कहा कि अगर मैंने इस्लाम धर्म अपनाया तो वे सुसाइड कर लेंगे। जवाब में मैंने कहा कि काफिर लोग नर्क में जाते हैं, आप सुसाइड भी करेंगे, तो मुझे फर्क नहीं पड़ेगा।’
‘2020 में मैंने लीगली कन्वर्ट होने के लिए कोरिकोटा में तरबयतुल इस्लाम सभा कन्वर्जन सेंटर में फोन किया। तब कोरोना की वजह से लॉकडाउन लगा था। कन्वर्जन सेंटर वाले नया एडमिशन नहीं ले रहे थे। दोस्त कहते थे विदेश में तुम्हारी नौकरी लगवा देंगे, शादी करवा देंगे। तुम किसी मुस्लिम से शादी कर लो।’
‘मैं घर गई तो RSS के कुछ लोगों को पता चला कि मेरा पहनावा मुस्लिम महिलाओं जैसा है, लेकिन मेरा नाम हिंदू है। उन्होंने मेरे परिवार को आशा विद्या समाजम संस्था से कनेक्ट करवाया।’
इसके बावजूद मैंने इस्लामिक स्कॉलर एमएम अकबर और उनकी दूसरी पत्नी आइशा सजना से कॉन्टैक्ट किया। आइशा ने बताया कि परिवार और आश्रम से कैसे डील करना है। मुझे कन्वर्ट कराने वाले लोगों के नंबर दिए और कहा कि बिना देरी किए इस्लाम अपना लो, लेकिन आश्रम में रहते हुए मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया था।’
हमारे सवाल: अनघा की पूरी कहानी में फैक्ट्स नहीं थे। मैंने सवाल किया, आपका धर्म परिवर्तन कब हुआ? और वो लोग कौन थे, जो आपका ब्रेनवॉश कर रहे थे…
जवाब: कानूनी तौर पर मेरा धर्म परिवर्तन नहीं हुआ। मैं बस इस्लाम की प्रैक्टिस करती थी। कुछ लोग इसमें मेरी मदद करते थे। काफी वक्त हो गया है, इसलिए मुझे उनके नाम याद नहीं हैं।’
अनघा ने न कोई तारीख बताई, न कोई नाम बताया। इस मामले में कोई पुलिस कम्प्लेंट भी नहीं है। हमने अनघा के माता-पिता से बात कराने के लिए कहा, लेकिन उसने इनकार कर दिया।
मां ने पूजा करने के लिए कहा, तो उन पर हाथ उठा दिया, नाम रहमत रख लिया
अनघा के बाद मेरी मुलाकात श्रुति ओ से हुई। श्रुति ने बातचीत शुरू होते ही साफ कर दिया कि उनके साथ लव जिहाद नहीं हुआ है। कुछ मीडिया चैनल उनके नाम से ऐसा दावा कर रहे हैं, लेकिन ये सच नहीं है। श्रुति केरल के मलप्पुरम की रहने वाली हैं।
पेशे से टीचर श्रुति बताती हैं कि उन्होंने अपना नाम रहमत रख लिया था। अनघा की ही तरह श्रुति भी 10 साल से आर्ष विद्या समाजम संस्था के सोशल मीडिया डिपार्टमेंट में काम करती हैं।
श्रुति कहती हैं, ‘अब तो रोना भी नहीं आता। अपना अतीत देखती हूं, तो खुद पर शर्म आती है। मैं इतनी अंधी हो गई थी कि घरवालों को बहुत तकलीफ दी। एक बार मां पर हाथ उठा दिया, क्योंकि वे मुझे पूजा करने के लिए कह रहीं थीं। मैं पूरे तरीके से मुस्लिम बन चुकी थी। वे लोग मेरे दिमाग में हिंदू धर्म के लिए जहर घोलते थे। उनकी बातों में आकर मैंने मुसलमान बनने का फैसला कर लिया।’
‘दोस्तों के जरिए मौलवियों को जानने लगी थी। धर्म बदलने के लिए पोनानी के कन्वर्जन सेंटर मनतुल इस्लाम सभा गई थी। लगा कि अब मैं इस्लाम की ट्रेनिंग लेकर पूरी तरह मुसलमान बन जाऊंगीं। वहां और भी लड़कियां थीं। उनके मुस्लिम बॉयफ्रेंड उनसे मिलने आते थे। उनके लिए सऊदी से महंगे-महंगे गिफ्ट लाते थे। वे लड़कियों को सऊदी ले जाना चाहते थे।‘
‘माता-पिता ने मेरा साथ नहीं छोड़ा। उन्होंने मुझे विजनना भारती विद्या केंद्र के आचार्य मनोजजी से मिलवाया। गुरुजी ने मुझे समझाया कि मैं माता-पिता को तकलीफ पहुंचा रही हूं। उन्होंने मुझे सनातन धर्म का असली मतलब समझाया। मुझे अहसास हुआ कि मैं गलत रास्ते पर हूं।’
हमारे सवाल: श्रुति से भी मैंने पूछा कि क्या उन्होंने इस मामले में पुलिस में कम्प्लेंट की? क्या जिन लोगों ने आपका ब्रेनवॉश किया उनके नाम बता सकती हैं। कन्वर्जन सेंटर में मिले किसी मौलाना का नाम बता सकती हैं?
जवाब: ये सब दस साल पहले की बात है, अब किसी का नाम याद नहीं है।
इस मामले में भी कोई पुलिस कम्प्लेंट नहीं की गई। श्रुति ने भी अपने माता-पिता या फिर किसी और परिचित से मिलवाने से मना कर दिया।
बहन की बातों से इस्लाम की तरफ झुकाव हुआ
22 साल की अमृता अनघा की छोटी बहन हैं। अमृता बताती हैं, ‘2017-18 की बात है। मैं 12वीं में पढ़ रही थी। अनघा मुझे इस्लाम के बारे में बताती थी। वो मुझे जहन्नुम के बारे में बताती थी। मैं बहुत डर गई थी। इस्लाम से जुड़े सवाल अपने दोस्तों से पूछती, तो वे उनका जवाब देती थीं।’
‘लगने लगा था कि इस्लाम सबसे ठीक है। मेरे बर्ताव से मम्मी-पापा पूरी तरह टूट चुके थे। मैंने पहली बार पापा को अपने सामने रोते देखा। वे रात में हमारे पास आते थे, पूछते थे कि क्या हमें छोड़कर चली जाओगी। अनघा के साथ ही मुझे भी यहां लाया गया और मुझे गलती का एहसास हुआ।’
हमारे सवाल: अमृता से भी हमने उन लोगों के नाम पूछे, जिन्होंने उसका ब्रेनवॉश किया था।
जवाब: अमृता ने भी कुछ याद न होने का हवाला दिया और कहानी से जुड़ा कोई फैक्ट नहीं बताया। इस केस में भी कोई पुलिस कम्प्लेंट नहीं है।
धर्म बदलना चाहती थी, आयशा बन गई, लेकिन कोर्ट ने घर भेजा
27 साल की आथिरा भी इसी संस्था में काम करती हैं। कासरगोड़ जिले की रहने वाली हैं। वे बताती हैं, ‘मेरे ज्यादातर दोस्त मुस्लिम थे। वे मुझे इस्लाम के बारे में बताते थे। मुझे हिंदू धर्म के बारे में ज्यादा पता नहीं था। मैं जानना चाहती थी कि असल में सच क्या है। 10 जुलाई 2017 को मैं 32 पन्ने का लेटर छोड़कर घर से निकल गई थी।’
‘जब लौटी तो बुरका पहनने लगी थी। तय वक्त पर नमाज अदा करती थी। रोजे रखने लगी। मुझे हिंदू धर्म और उसकी मान्यताओं से नफरत होने लगी थी। धर्म बदलने के लिए मनतुल इस्लाम सभा जाना चाहती थी। मेरे परिवार ने हाईकोर्ट में केस कर दिया और कहा कि उन्हें शक है कि बेटी का अपहरण हुआ है। 31 जुलाई 2017 को मैं कोर्ट में पेश हुई।’
‘कोर्ट ने कहा कि इस्लाम फॉलो करना है, तो घर छोड़कर जाने की क्या जरूरत है। घर में रहकर करो। कोर्ट ने मुझे कन्वर्जन सेंटर नहीं जाने दिया और घर वापस भेज दिया। इसके बाद परिवार ने मुझे विजनना भारती विद्या केंद्र के आचार्य मनोजजी से मिलवाया। उन्होंने मुझे सही रास्ता दिखाया।’
छानबीन करने पर पता चला कि 21 सितंबर 2017 को आथिरा अचानक मीडिया के सामने आई थीं और उन्होंने कहा कि इस्लामिक स्कॉलर जाकिर नाइक के वीडियो दिखाकर उनका ब्रेनवॉश किया गया था और अब वे फिर से हिंदू धर्म में लौट आई हैं।
हमारे सवाल: ये केस तो काफी चर्चा में था, मैंने आथिरा से उन लोगों के नाम पूछे, जिन्होंने उनका ब्रेनवॉश किया था?
जवाब: आथिरा ने भी किसी का नाम याद न होने की बात कही। उन्होंने भी माता-पिता से नहीं मिलवाया।
कन्वर्जन सेंटर की हकीकत क्या…
अनघा, आथिरा और श्रुति ने अपनी बात में दो संस्थाओं का जिक्र किया। तरबयतुल इस्लाम सभा और मनतुल इस्लाम सभा। दोनों का कहना है कि यहां उन्हें इस्लाम की ट्रेनिंग मिलती, जिसके बाद वे कन्वर्ट हो जातीं।
छानबीन के लिए मैं सबसे पहले तिरुवनंतपुरम से करीब 400 किमी दूर मलप्पुरम के पोनानी पहुंची। यहां मनतुल इस्लाम सभा है। सेंटर के रिसेप्शन पर बात की, तो जवाब मिला कि शाम को ही बात हो पाएगी। कई घंटे इंतजार के बाद मेरी मुलाकात सेंटर के जनरल सेक्रेटरी समद और सेक्रेटरी सलीम से हुई।
मुझे देखते ही सलीम कहने लगे कि यहां तो मीडिया वाले आते ही नहीं, आप कैसे आ गईं। मैंने धर्म परिवर्तन के आरोपों से जुड़ा सवाल किया तो वे बोले- ‘आप श्रुति की बात तो नहीं कर रहीं।’ ये कहकर वे खुद और आसपास बैठे लोग हंसने लगे। उन्होंने आगे कहा, ‘हम श्रुति का नाटक कई दिनों से टीवी पर देख रहे हैं। श्रुति इस सेंटर में कभी आई ही नहीं।’
सलीम बताते हैं, ‘ये कोई कन्वर्जन सेंटर नहीं है। यहां लोग मर्जी से पढ़ने आते हैं। कोई लड़की आती है, तो हम उसकी जानकारी पुलिस को देते हैं। उसके बाद ही सेंटर में दाखिला होता है। हमारे पास आने वाले हर व्यक्ति का डेटा है। आप पुलिस से भी पूछ सकते हैं। सेंटर में दो महीने की ट्रेनिंग के दौरान नमाज, रोजा और कुरान पढ़ना सिखाया जाता है।’
मैंने उनसे सेंटर दिखाने की बात की, तो सलीम नाराज हो गए। कहने लगे, ‘आप कौन होती हैं सेंटर देखने वालीं।’ मैंने कहा कि आप पर आरोप लगे हैं, इसलिए जानना है कि सेंटर कैसे काम करता है।’ उन्होंने कहा, ‘आप कुछ देर इंतजार कीजिए, हम बड़े अधिकारियों से बात करके बताते हैं। कुछ देर बाद सलीम बाहर आए और कहा- ‘ऊपर से ऑर्डर है कि कैमरे पर कोई बात नहीं होगी।’ हमने पूछा, ऊपर के ये अधिकारी कौन हैं। उन्होंने नाम बताने से इनकार कर दिया।’
इसके बाद मैं पोनानी पुलिस स्टेशन पहुंची। वहां एसएचओ विनोद मिले। उनसे लव जिहाद और कन्वर्जन पर सवाल किया तो वे बोले, ‘मनतुल इस्लाम कन्वर्जन सेंटर में जबरन धर्मांतरण नहीं होता। हमारे पास तो अब तक ऐसा कोई केस नहीं आया। यहां ज्यादातर धर्मांतरण उन्हीं लड़कियों के होते हैं, जो लव मैरिज करके आती हैं। मीडिया की भाषा में आजकल इसी को लव जिहाद कहते हैं।’
यहां से हम मलप्पुरम के एक और सेंटर मनजेरी सत्यसरणी मरकजुल हिदाया पहुंचे। ये सेंटर जंगल में बना है। यहां मौजूद लोगों ने कैमरे पर बात नहीं की। कहने लगे, ‘ये कोई कन्वर्जन सेंटर नहीं है। यहां दो महीने के कोर्स में बच्चों को इस्लामिक शिक्षा दी जाती है। लड़के-लड़कियों के लिए हॉस्टल बने हैं। यहां जबरन किसी का धर्म परिवर्तन नहीं किया जाता।’