विधि छात्रा से दुष्कर्म के आरोपी अधिवक्ता की जमानत अर्जी खारिज, इसके पहले भी निरस्त हो चुकी है अर्जी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विधि छात्रा से दुष्कर्म के आरोपी अधिवक्ता की जमानत अर्जी नामंजूर कर दी है। अधिवक्ता ने दोबारा जमानत अर्जी दाखिल की थी। यह आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल ने अधिवक्ता राजकरन की अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया है।
विधि छात्रा ने सिविल लाइंस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोप था कि अधिवक्ता राजकरन के साथ प्रैक्टिस के लिए हाईकोर्ट जाती थी। इस दौरान राजकरण और उसके साथी अधिवक्ता ने छात्रा का यौन उत्पीड़न शुरू कर दिया
आरोप है कि उसका लंबे समय तक यौन उत्पीड़न किया गया। अधिवक्ता जेल में है। उसकी ओर से कोर्ट में तर्क दिया गया कि पीड़िता का पिता उसके पास पहले से ही मुकदमों को लेकर आया जाया करता था। वह उसका पूर्व परिचित है। उसके पिता ने अपनी बेटी की शादी उसके लड़के के साथ करने का प्रस्ताव दिया था, उसने इन्कार कर दिया था। इस वजह से वह झूठे मुकदमे में फंसा रही है।
यह भी कहा गया कि पीड़िता ने अपना बयान बदलने के लिए 10 लाख रुपये की मांग की थी। जमानत अर्जी के विरोध में कहा गया कि द्वितीय प्रार्थना पत्र में कोई नया तथ्य नहीं प्रस्तुत किया गया है। पीड़िता ने याची के खिलाफ बयान दिया है। मेडिकल अफसर के सामने भी उसने यही बयान दिया था। इस पर कोर्ट ने दूसरी जमानत अर्जी को खारिज कर दी।