प्यार की कीमत कभी-कभी जान देकर भी चुकानी पड़ती है। लैला-मजनूं ने चुकाई थी, शींरी-फरहाद ने चुकाई, रोमियो-जूलियट ने चुकाई।
प्यार की इन कहानियों में कभी ये नहीं पढ़ाया गया कि प्यार न करने की कीमत भी जान देकर चुकानी पड़ सकती है। और ये कीमत सिर्फ लड़की को ही चुकानी पड़ती है।
21 साल की सुंदर सी लड़की थी। माता-पिता ने बड़े अरमानों से कानपुर से दिल्ली-एनसीआर भेजा था। पढ़ने के लिए, अपने सपने पूरे करने के लिए, जिंदगी में कुछ बनने के लिए।
उन्हें क्या पता था कि जिस लड़की को जिंदा हंसता-मुस्कुराता भेजा है, वो एक दिन लाश बनकर लौटेगी।
और उस हंसती जिंदगी को लाश में बदल देने वाला कोई और नहीं, उसी लड़की की क्लास में पढ़ने वाला एक 21 साल का लड़का है।
गलती बस इतना ही कि लड़की ने लड़के से ब्रेकअप किया, दोस्ती खत्म कर ली, उसका दिया उपहार लेने से इनकार कर दिया।
बस इतना ही हुआ था कि लड़के के हाथ में पिस्टल थी और लड़की के शरीर में लगी गोली। उसके बाद हॉस्टल जाकर लड़के ने खुद को भी गोली मार ली। लेकिन हत्यारा इस मामले में सिर्फ एक ही है।
अपराधी सिर्फ एक है। उस मासूम लड़की की जान लेने वाला और खुद अपनी जान देने वाला। लड़की का कोई अपराध नहीं था, लेकिन उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
लड़कियों की जान इतनी ही सस्ती है। जन्म से लेकर मृत्यु तक कब किसके हाथों मारी जाएं, खुदा भी नहीं जानता। बहुत खुशकिस्मत हुई तभी पैदा होती है, वरना जन्म से पहले पेट में ही मार डाली जाएगी।