फतेहपुर। सिक्ख समुदाय के पांचवे गुरू गुरू अर्जन देव जी का 417 वां शहीदी दिवस श्रद्धा व स्नेह के बीच मनाया। सिक्ख समुदाय के लोगों ने गुरूद्वारे में माथा टेक कर छबील व छोले का वितरण किया। आने-जाने वाले लोगों ने ठंडा शर्बत पीकर गर्मी में राहत की सांस ली।
कार्यक्रम की अगुवाई गुरूद्वारा सिंह सभा के प्रधान पपिंदर सिंह ने की। ज्ञानी परमजीत सिंह ने बताया कि गुरु अर्जन देव सिखों के पांचवे गुरु हैं। आज गुरु अर्जन देव जी का 417 वां शहीदी दिवस है। आज के दिन तपती तवे में रेत डाल कर गुरु अर्जन देव जी को शहीद किया गया था। गुरु अर्जन देव जी धर्म रक्षक और मानवता के सच्चे सेवक थे। उनके मन में सभी धर्मों के लिए सम्मान था। मुगलकाल में अकबर, गुरु अर्जन देव के मुरीद थे, लेकिन जब अकबर का निधन हो गया तो जहांगीर के शासनकाल में इनके रिश्तों में खटास पैदा हो गई। ऐसा कहा जाता है कि शहजादा खुसरो को जब मुगल शासक जहांगीर ने देश से निकालने का आदेश दिया था तो गुरु अर्जुन देव ने उन्हें शरण दी। यही वजह थी कि जहांगीर ने उन्हें मौत की सजा सुनाई थी। गुरु अर्जन देव ईश्वर को सभी यातनाएं सह गए और मई 1606 को उनको शहीद कर दिया गया। जीवन के अंतिम समय में उन्होंने यह अरदास की ’तेरा कीआ मीठा लागे, हरि नामु पदारथ नानक मांगे’। इस दिन को सिख समुदाय के लोग बड़े स्नेह और श्रद्धा के साथ मनाया। इस अवसर पर लाभ सिंह, जतिंदर पाल सिंह, सतपाल सिंह, वरिंदर सिंह, सरनपाल सिंह, ग्रेटी, गुरमीत सिंह, रिंकू, सोनी व महिलाओं में हरविंदर कौर, परमीत कौर, हरजीत कौर, हरमीत कौर, खुशी, मंजीत कौर, वीर सिंह, अगम उपस्थित रहे।
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