मौत के बाद डिजिटली जिंदा रहेंगे लोग, भारतीय साइंटिस्ट का दावा- कंप्यूटर पर जल्द लोड कर सकेंगे ह्यूमन कॉन्शियसनेस

 

अमेरिका में रहने वाले एक भारतीय कम्प्यूटर साइंटिस्ट का कहना है कि इस साल (2023) के आखिर तक मानव चेतना (ह्यूमन कॉन्शियशनेस) कंप्यूटर पर अपलोड हो सकेगी। इसके लिए उन्होंने लोगों से परिवार के बुजुर्ग और प्रिय सदस्यों की आवाज और वीडियो रिकॉर्ड करने के लिए कहा है।

डेली मेल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टर प्रतीक देसाई ने कहा- 2D, 3D, होलोग्राम और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद लोगों को दोबारा जिंदा किया जा सकता है। ट्रांस्क्रिप्ट डेटा, न्यू वॉइस सिंथेसिस और वीडियो मॉडल की मदद से जल्द ही ह्यूमन कॉन्शियशनेस को कंप्यूटर पर अपलोड करने की प्रोसेस शुरू हो सकती है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और होलोग्राम तकनीक के जरिए मरे हुए इंसान को डिजिटल रूप से पुनर्जीवित किया जा सकता है। ऐसा हमने हॉलीवुड फिल्मों देखा है।

ह्यूमन कॉन्शियशनेस को कंप्यूटर पर अपलोड करने की प्रोसेस
ह्यूमन कॉन्शियशनेस को कंप्यूटर पर अपलोड करने के लिए एक यूजर किसी भी व्यक्ति (जिसे वो मरने के बाद भी जिंदा रखना चाहता है) से जुड़ी सभी जानकारियां- जैसे उसकी आवाज, फोटो, वीडियो AI सिस्टम में फीड कर सकता है। जिससे AI सिस्टम व्यक्ति को पूरी बारीकी से समझ जाए। इसके बाद यूजर उस व्यक्ति के लिए एक अवतार (डिजिटल पर्सनालिटी, जो दिखने में उस व्यक्ति की तरह ही हो) डिजाइन कर सकता है। फिर AI सिस्टम में फीड इन्फॉर्मेशन के जरिए यूजर से बात कर सकेगा।

डॉ. प्रतीक देसाई ने तैयार किया KissanGPT
डॉ. प्रतीक देसाई ने अमेरिका के कैलिफॉर्निया स्थित सिलिकन वैली में कई AI स्टार्टअप की स्थापना की है। उन्होंने भारतीय किसानों की मदद के लिए ChatGPT की तरह एक चैटबॉट- KissanGPT तैयार किया है। इस पर अब भी काम चल रहा है।

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