राष्ट्रीय कार्यक्रम के लिए जारी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के आदेश का अनुपालन नहीं हुआ तो कब होगी जांच

 

मुन्ना बक्श ब्यूरो चीफ

बांदा।कार्यालय जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी बाँदा के पत्र पत्रांक-2206-11/2023-24 दिनांक-26-मई-2023 जो समस्त खंड शिक्षा अधिकारी बाँदा के नाम संबोधित है।इसमें स्पष्ट आदेशित किया गया है कि दिनांक-28-मई को राष्ट्रीय कार्यक्रम पल्स पोलियो अभियान के दिन समस्त परिषदीय और माध्यमिक विद्यालयों को अनिवार्य रूप से खुलवाते हुए समस्त स्टाफ की उपस्थिति मिड-डे-मिल बनाया जाना और स्कूली बच्चों की बुलावा टोली का गठन कर समुदाय से अधिक से अधिक बच्चों को बूथ पर लाने के लिए प्रेरित किया जाना एवं अभियान की फोटोग्राफ्स ग्रुप के माध्यम से अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाए।उक्त कार्य राष्ट्रीय अधिवेशन है अतः किसी भी प्रकार की शिथिलता क्षम्य नहीं होगी। खंड शिक्षा अधिकारी महुआ ने भी अपना दायित्व निभाते हुए मीडिया व अपने तंत्र के माध्यम से सभी शिक्षकों से आदेश अनुपालन की अपील किया था लेकिन लापरवाही की हद हो गई।ठेंगा दिखाने वालों ने खंड शिक्षा अधिकारी व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी बाँदा के आदेश को ठेंगा दिखा दिया और बहुतायत में उक्त राष्ट्रीय कार्यक्रम के लिए शिक्षकों ने विद्यालयो को नहीं खोला, कहीं कहीं रसोईयो से विद्यालय दिखावटी खुलवाकर शिक्षक गए ही नहीं।यदि भूल से कोई विद्यालय खोला गया तो समस्त स्टाफ उपस्थित नहीं हुआ।जो उपस्थित हुए उन्होंने 28-मई को ही ग्रुपों मे फोटोज डाल दिया है।जिन्होंने विद्यालय नहीं खोला उन्होंने ग्रुप में फोटोज नहीं डाला। स्वास्थ्य विभाग के सुपरवाइजरो ने भी अपनी बैठक में आपत्ति दर्ज कराई है और जाँच की माँग किया है।ऐसे शिक्षकों की बदौलत बेसिक शिक्षा विभाग की छवि खराब हो रही हैं।क्योंकि ऐसे शिक्षक न तो स्कूल महानिदेशक का आदेश मानते हैं, न तो अपने उच्चाधिकारियों का इसलिए लोग सरकारी स्कूल में नाम तो बच्चों का लिखा देते हैं लेकिन विद्यालय में जब शिक्षकों का गैर जिम्मेदाराना रवैया देखते हैं तो बच्चों को स्कूल भेजना बंद देते है।लेकिन सुपर शिक्षकों को अनदेखा नहीं किया जा सकता वो हमेशा बच्चों के हित में तत्पर रहते हैं और उनके यहां से नवोदय. विद्या ज्ञान जैसी परीक्षाओं को बच्चे पास करते हैं।पनगरा, पैगम्बरपुर,खम्हौरा के कुछ शिक्षकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि 28-तारीख को पल्स पोलियो अभियान की मात्र 30 या 32 फोटोज ग्रुप में आई है।आपने कितना सही बताया कितना गलत ये तो 28-तारीख का ग्रुप देखने से ही पुष्टि हो सकती हैं।कुछ अभिभावकों ने भी अपनी मंशा व्यक्त किया कि आपके घर का पालतू कुत्ता, तीतर, बिल्ली व तोता आदि ट्रेंड हो सकते है लेकिन बेसिक शिक्षा का बच्चा पढने मे कमजोर ही रहेगा।सरकार यदि जवाबदेही सुनिश्चित करें तो कुछ सुधार संभव है।स्कूल महानिदेशक का बेसिक शिक्षा के प्रति समर्पण की जितनी सराहना की जाय वो कम है।अभी भी समय हैं समर्पण के साथ सुधार किया जाय,वर्ना आगामी तीन साल बाद जनता व अभिभावकों की एक ही आवाज सुनाई देगी-बेसिक शिक्षा बचाओ-निजीकरण लाओ।हमारे बच्चे का पाँच साल ,खराब हुआ हमारे बच्चे को कुछ नहीं आता, पाँच साल का समय बर्बाद होने पर ,हमें मुआवजा दिलाओ।अगर उच्चाधिकारी चाहते हैं कि हमारे आदेशों का अक्षरशः पालन हो तो 28-मई को पल्स पोलियो राष्ट्रीय कार्यक्रम की जितनी फोटोज ग्रुप में मौजूद हो उन विद्यालयो को छोडकर अन्य विद्यालयो के विरुद्ध कठोर कार्यवाही के लिए जाँच कराई जाय।

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