दरियाव सिंह मामले में आयोग का चाबुक, डीएम से दस दिनों में मांगा जवाब

खागा/फतेहपुर। 1857 ई. की क्रान्ति के अमर शहीद सेनानी दरियाव सिंह मामले में केन्द्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने जिलाधिकारी से जवाब मांगा है। आयोग ने जिलाधिकारी को लिखे एक पत्र में सिंगरौर समुदाय के लोगों का लोध जाति (पिछड़ा वर्ग) का प्रमाण पत्र न बनाने तथा क्रांतिकारी अमर शहीद ठा. दरियाव सिंह लोधी की पृष्ठिभूमि व ऐतिहासिक साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ किये जाने के संबंध में दस कार्य दिवसों के भीतर जवाब प्रस्तुत करने को कहा है।
गौरतलब है कि केन्द्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग भारत के संविधान के अनुच्छेद 338 ख के अंतर्गत सिविल न्यायालय की शक्तियों का प्रयोग करने वाला एक संवैधानिक निकाय है, जिसे 102 वें संविधान संशोधन, अधिनियम 2018 के अंतर्गत संवैधानिक दर्जा प्राप्त है। दरअसल, पूरा मामला यह है कि बीते साल 19 नवंबर को संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र में आजादी के अमृत महोत्सव के तहत लगाई गई एक प्रदर्शनी में पहली बार जनपद से बाहर इतने विशिष्ट मंच पर जनपद के अमर शहीद दरियाव सिंह लोधी का प्रमुखता से वर्णन किया गया था। इसके बाद खागा की दरियाव सिंह समिति के मंत्री राम प्रताप सिंह ने कला केन्द्र का नाम लेकर जनपद में ये झूठी खबरें प्रकाशित करवाई गयी थी कि संस्कृति मंत्रालय ने दरियाव सिंह के साथ लोध गलती से लिख दिया था। इस मामले में जब मंत्रालय से पूछा गया तो मंत्रालय की ओर से एक पत्र जारी करके राम प्रताप द्वारा प्रकाशित कराई गयी खबरों का खंडन किया गया और यह भी बताया गया कि वास्तव में दरियाव सिंह समिति के मंत्री और मंत्रालय की किसी भी संस्था के बीच कोई पत्र व्यवहार हुआ ही नहीं है। इस प्रकार, समिति के मंत्री ने लोगों के बीच दरियाव सिंह की पहचान और पृष्ठभूमि को लेकर लोगों को गुमराह किया है। इसके अलावा सिंगरौर समुदाय के तमाम युवाओं का समिति के मंत्री राम प्रताप सिंह पर आरोप है कि वह लोधी जाति के फिरके में आने वाले सिंगर समुदाय के युवाओं का जाति प्रमाण पत्र नहीं बनने दे रहा है। इन सब विषयों को लेकर सिंगरौर समुदाय के साठ से अधिक युवाओं ने केन्द्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग से शिकायत कर बताया कि जिला प्रशासन उनका पिछड़ा वर्ग का प्रमाण पत्र नहीं निर्गत कर रहा है। साथ ही दरियाव सिंह लोधी की पृष्ठभूमि और उनके ऐतिहासिक साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की जा रही है। उक्त मामले में जिलाधिकारी को दस कार्य दिवसों के भीतर आयोग को जवाब भेजना है। दिलचस्प यह भी है कि शिकायतकर्ताओं ने जनपद में साल 2017 तक सिंगरौरों द्वारा लोध जाति के बनवाये गये प्रमाण पत्रों की छायाप्रतियां आयोग के सामने पेश की हैं, लेकिन अब राम प्रताप सिंह के दबाव के कारण नहीं बन रहे हैं, जबकि इसके अलावा जनपद के पड़ोसी जिलों मसलन कौशाम्बी, बांदा और चित्रकूट में सिंगरौर फिरके के लोगों का प्रमाण पत्र आसानी से जारी किया जाता है।

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