वाराणसी शहर की कहानी महिला व्यापार मंडल अध्यक्ष सुनीता सोनी की जुबानी 

रोहित सेठ

 

ये शहर भी क्या शहर है

हवाओ में धुंआ है ,

फिजाओ में जहर है।

जर्रे – जर्रे में कुदरत समेटे हुए ,

कुछ दूर पर मेरा गांव है ,

आंगन में सुहानी धूप है ,

पीपल की ठंडी छाव है ,

बड़ी मासूम सी है ये जिंदगी

शहर में रहूं और गांव भी चाहिए ।

बस बैठा हूँ ऊची इमारतों में

पेड़ो को काटू और छाँव भी चाहिए

धुंए की चादर ने लपेट रखा है

प्रदूषण ने इस कदर विवश कर रखा है

पर्यावरण बचाओ – बचाओ की जब करते है बात सब कुछ अपनी जान पर बन आ रखा है

मिलावट के बगैर हवा भी हासिल नही

सांसो में हमने धुंआ भर रखा है

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