रोहित सेठ
वाराणसी। अखिल भारतीय सनातन समिति जैतपुरा वाराणसी द्वारा आयोजित नौ दिवसीय रामकथा के चतुर्थ दिवस पर अपने प्रवचन में पूज्य पाद बालकदास जी महाराज ने कहा कि प्रभु राम के जन्म के पश्चात अयोध्या में घर-घर नगर निवासी ढोल नगाड़े तथा भाट लोग राजमहल के अंदर विरुदावली सोहर तथा राम जन्म से संबंधित बहुत ही सुंदर गीत गाने लगे पूरा राजमहल में उत्सव जैसा माहौल दिखाई देने लगा इस अवसर पर राजा दशरथ एवं तीनों रानियों ने गीत एवं नृत्य करने वाले कलाकारों को बहुत ही सम्मान दिया तथा बहुत सारा सोना चांदी एवं वस्त्र उन्हें नेक जोग में बहुत ही खुशी खुशी देकर उन्हें विदा किया इसके पश्चात महाराज दशरथ ने गुरु व शिष्य को अपने महल में बुलाकर चारों भाइयों का कर्ण छेदन एवं नामकरण भी करवाया तथा उन्हें गुरुजी के गुरुकुल में शास्त्र सम्मत उचित शिक्षा एवं धनुर्विद्या सिखाने का गुरु वशिष्ट से आग्रह भी किया कुछ दिनों के बाद महाराज के राजमहल में गुरु विश्वामित्र का आगमन हुआ उन्होंने राक्षसों से यज्ञ की रक्षा के लिए राम लक्ष्मण दोनों भाइयों को इस कार्य को पूर्ण करने के लिए राजा दशरथ से मांगा परंतु मुनि की आज्ञा का पालन करते हुए राजा ने उन्हें मुनि को सौंप दिया रास्ते में जंगल में अहिल्या का उद्धार करते हुए दोनों भाई जनकपुर पहुंचे इस अवसर पर मानस मर्मज्ञ संत अवध किशोर दास जी महाराज काशी ने अपनी कथा में कहा कि इस कलयुग में समस्त पापों का समूल नाश करना चाहते हैं तो भक्त लोगों को प्रभु का सदैव स्मरण करते रहना चाहिए इसी से उनके पाप का छय संभव है इस अवसर पर व्यासपीठ की आरती डॉ अजय जयसवाल, प्रमोद यादव, मुन्ना, विष्णु गुप्ता, भईया लाल जायसवाल अभय स्वाभिमानी, बृजेश जायसवाल, मदनलाल बनारसी अग्रहरि, बिंदु लाल गुप्ता, सुजीत कुमार ने की। मंच का संचालन प्रधान सचिव राजेश सेठ ने की।