तीन बच्चों को कुएं में फेंकने वाली मां की कहानी, पति बोला-मैंने चरित्रहीन कहा, फोन पर गंदी गाली दी तो उसने बच्चों को मौत के घाट उतार दिया 

 

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में एक महिला ने पति से फोन पर झगड़ा होने के बाद अपने तीन बच्चों को कुएं में फेंक दिया।

अब पढ़े पूरी कहानी 

मेरे पति 3 भाई हैं। सबसे बड़े मेरे पति हैं। उसके बाद दो देवर हैं। हम लोग सास-ससुर के साथ रहते हैं। जिस दिन मैंने अपने बच्चों को कुएं में फेंका था, उसी दिन दोपहर में अपने देवर के घर गई थी। तभी मेरे पति ने मुझे फोन किया। मेरा फोन देवर की बेटी ने उठा लिया। बस इसी बात को लेकर मेरे पति ने मुझे बहुत उल्टा-सीधा बोला, मुझे चरित्रहीन बता दिया। उसने यहां तक कह दिया कि मेरे बच्चे उसके हैं ही नहीं। इसके बाद मैंने ऐसा कदम उठाया।” यह कहना है अपने 3 बच्चों की हत्या करने वाली मां का।

मिर्जापुर में संतनगर थाना क्षेत्र के पंजरा गांव में चंदा रहती है। उसने शनिवार (3 जून) देर रात अपने 3 बच्चों को सोते समय कुएं में फेंक दिया था। दो बच्चों के शव रात में ही मिल गए थे। जबकि 1 बच्चे का शव रविवार सुबह निकाला गया। पुलिस ने शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया था। चंदा को हिरासत में ले लिया गया। साथ ही मुंबई में काम करने वाले उसके पति को बुलाया गया। पति के आने के बाद तीनों बच्चों का गांव के चील्ह गंगा घाट पर अंतिम संस्कार किया गया।

बच्चों की हत्या करने वाली चंदा ने बताया, ”कोई महिला कितनी भी ज्यादा निर्दयी क्यों न हो, लेकिन अपने बच्चों को कभी नहीं मार सकती। फिर मैं तो एक साधारण महिला हूं। मेरे पति भी बाहर रहते हैं। मेरे लिए तो बच्चे ही मेरी जिंदगी थे। लेकिन फिर भी मैंने उनके साथ ऐसा कर दिया, क्योंकि मेरे पति की बातें मुझसे सहन नहीं हो रही थीं।”

“घर परिवार में सभी लोग एक-दूसरे के घर आते जाते रहते हैं। मेरा देवर गांव में ही दूसरे घर में रहता है। जबकि सबसे छोटा देवर चित्रकूट में काम करता है। मैं भी शनिवार को घर का सारा काम खत्म होने के बाद अपने देवर के घर चली गई। मैं वहां अपनी देवरानी के साथ बैठी थी। देवरानी की बेटी मेरा फोन चला रही थी। तभी उस पर मेरे पति का फोन आया होगा। देवरानी की बेटी ने फोन उठा लिया। इसके बाद मेरे पति ने पता नहीं उससे क्या कहा? जब मैं जाने लगी, तब उसने मुझे बताया कि ताऊ का फोन आया था।”

उसने बताया, ”घर आने के बाद मैंने अपने पति को फोन किया। फोन उठाते ही उन्होंने गंदी-गंदी गाली देना मुझे शुरू कर दिया। वह कुछ सुन ही नहीं रहे थे। ऐसी बातें बोल रहे थे, जो मुझे बताने में भी शर्म आ रही है। उन्होंने मुझे बदचलन शब्द बोला। मेरे चरित्र पर सवाल उठाए। मुझसे कहने लगे कि तू वहां क्यों गई थी? वहां तेरा क्या काम था? कहने लगे कि मुझे तो हमेशा से शक था कि तू चरित्रहीन है। आज पक्का हो गया।”

“मैं यहां परिवार के लिए कमाने में बिजी रहता हूं। तुम लोग अच्छे से रह पाओ, इसके लिए दिन-रात मेहनत करता हूं। और तू वहां रहकर आशिकी कर रही है। शादी से पहले से मैं बाहर रहकर नौकरी कर रहा हूं। क्या पता ये बच्चे भी किसी और के हो और उनको पाल मैं रहा हूं।”

चंदा ने बताया, ”शादी के 10 साल हो चुके हैं। इतनी बार हमारी लड़ाई हुई, कहासुनी हुई लेकिन उस दिन जो मेरे पति ने मुझसे कहा वो मेरे दिल में बैठ गया। पहले भी वो मेरे आने-जाने को लेकर पाबंदी लगाते रहे हैं। लेकिन इतना बुरा उन्होंने कभी नहीं बोला। पूरा दिन उनकी बात मेरे दिमाग में चलती रही। भारी मन से मैं घर का काम तो करती रही, लेकिन मन बहुत खराब था।”

“मैंने दिन में खाना तक नहीं खाया। शाम को एक बार पति को फोन किया, तो उन्होंने उठाया नहीं। फिर मैं रात का खाना बनाने में लग गई। जब भी बच्चे सामने पड़ते, तो गुस्सा आता। किसी तरह से रात का खाना बनाया। रात में दो बच्चे दादा-दादी के पास सोने चले गए। एक बच्ची मेरे पास सो रही थी। दिमाग में बस एक ही बात चल रही थी…ये बच्चे मेरे नहीं है। मेरा पति मुझे चरित्रहीन बोल रहा है।”

उसने बताया, ”यही सोचते हुए मैं उठी। मैं अपनी सास के पास सो रहे दोनों बच्चों को उठा लाई। उसके बाद पहले बड़े बेटे आकाश (8) को कुएं के पास ले गई और पानी में फेंक दिया। फिर बेटी कीर्ति (2) और अन्नू (1) को गोद में उठाकर लाई और कुएं में फेंक दिया। कुछ देर अपने बच्चों को वहीं पर खड़े देखती रही। जब पानी में कोई हरकत नहीं हुई, तो भागकर अपने कमरे में चली गई।

कमरे को अंदर से बंद करके आग लगा ली। जब आग कमरे में फैली, तो मैं डर गई। मैं किसी तरह से बचते हुए दरवाजे के पास पहुंची और बाहर आ गई। उसके बाद मैं जोर-जोर से चिल्लाने लगी। मेरी आवाज से मेरे सास-ससुर उठ गए। वे लोग अपने कमरे से बाहर आ गए। उन लोगों ने गांव के दूसरे लोगों को भी जगा दिया। सभी लोग कमरे में लगी आग को बुझाने में जुट गए और मैं दूर खड़े होकर कुएं की ओर देखती रही।”

ससुर श्यामधर ने बताया, ”जब मैंने कमरे में लगी आग देखी, तो डर गया। मैंने अपनी बहू से पूछा कि बच्चे कहां हैं। जो दो मेरे पास सो रहे थे, वे भी नहीं मिल रहे। कहीं वे लोग कमरे में तो नहीं हैं। लेकिन मेरी बहू ने कोई जवाब नहीं दिया। मुझे लगा वह डरी हुई है। मैंने लोगों से कहा, अंदर बच्चे फंसे हुए हैं। पहले उनको किसी तरह से निकालो।

इसके बाद मेरी बहू ने कहा, अंदर कोई फंसा हुआ नहीं है। बच्चों को मैंने कुएं में फेंक दिया है। ये आग भी मैंने लगाई है। बहू की बात सुनने के बाद हम लोग सन्न रह गए। मैं दौड़कर गया और कमरे से टार्च निकाल लाया। मैंने हिम्मत करके टार्च से कुएं में देखा, तो मेरी दो पोती ऊपर उतरा रही थी। पोता कहीं नहीं दिख रहा था। मैं वहीं पर अपने सिर पर हाथ रखकर बैठ गई।”

उन्होंने बताया, ”मैंने इशारे से गांव के दो-तीन लोगों को बुलाया। उन लोगों ने बच्चों के शवों को बाहर निकाला। वहीं गांव की महिलाएं मेरी बहू को गालियां देने लगीं। उसको बुरा भला बोलने लगी। काफी देर तक हम लोग पोते को ढूंढते रहे। रविवार की सुबह हमें अपने पोते का शव मिला। अपने बच्चों को ऐसे देखकर मैं तो सीना पीटकर रोने लगी। अपनी बहू से पूछने लगा कि ये तूने क्यों किया, लेकिन वह कुछ नहीं बोली।”

अमरजीत ने बताया, ”मेरी शादी 18 मई, 2013 में हुई थी। बड़ा बेटा आकाश गांव के ही प्राइमरी विद्यालय में कक्षा-3 में पढ़ रहा था। कीर्ति और अन्नू अभी छोटी थीं। हमारा परिवार पूरा था, लेकिन पता नहीं क्यों मेरी पत्नी ने अपने हाथों से सब तबाह कर दिया।”

वहीं, गांव में तीन बच्चों की मौत से सन्नाटा पसरा हुआ है। अमरजीत के घर पर गांव की महिलाओं की भीड़ लगी हुई है। घर के बाहर आसपास के आदमी बैठे हुए हैं। सभी लोग घटना पर अफसोस जता रहे हैं। वहीं जिस कमरे में चंदा ने आग लगाई थी, वह कमरा अभी भी वैसे ही पड़ा हुआ है। उसमें कोई सफाई नहीं की गई है।

चंदा ने जिस कुएं में बच्चों को फेंका था…वहां पर अभी भी वह रस्सी बंधी हुई है, जिसके सहारे बच्चों के शव बाहर निकाले गए थे। गांव में लोग अब कुएं की ओर जाने से डर रहे हैं। वहीं अमरजीत की मां, अपने पोता-पोती को याद करके रो रही है। गांव की महिलाएं उसको समझा रही हैं, लेकिन वो रोते-रोते कभी लेट जाती है तो कभी सिर को दीवार पर मारने लगती है।
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