महिलाएं खाने लगीं अपने बाल, गायब हुईं बच्चे की अंगुलियां, महिला के 2 गर्भाशय

 

हाल ही में राजस्थान के पाली में एक केस सामने आया, जिसमें रहस्यमयी बीमारी का शिकार युवक आदमखोर बन गया। युवक की तीन दिन के इलाज के बाद मौत हो गई। माैत के बाद भी ये गुत्थी नहीं सुलझ पाई कि युवक किस बीमारी का शिकार था। संभवत: देश में पहली बार ऐसा केस सामने आया, जिसमें कोई इंसान आदमखोर बन गया।

ऐसा नहीं है कि अनोखी बीमारी का राजस्थान में ये पहला केस है। राजस्थान में पहले भी अजीब बीमारियों से जुड़े कई केस सामने आ चुके हैं, जिन्होंने पूरे देश को चौंका दिया था।

  • नागौर का एक युवक अनोखी बीमारी का शिकार है, जिस कारण हमेशा सोता रहता है।
  • एक अजीबोगरीब बीमारी, जिसकी शिकार महिलाएं होती हैं। इसमें महिलाएं अपने ही बाल नोंच-नोंचकर खा जाती हैं।
  • एक बच्चे के शरीर में हुए घावों के कारण हाथ-पैर की अंगुलियां गायब हो गईं।
  • एक महिला के दो गर्भाशय और दो योनियां हैं।
  • एक बीमारी ने दो भाइयों की जान ले ली। इलाज पता होते भी बच्चों को बचाया नहीं जा सकता, क्योंकि जो दवा जिंदगी बचा सकती थी, उसकी कीमत थी 16 करोड़ रुपए।
  • हाइपरसोम्निया : साल में 300 दिन सोते हैं, खाना-पीना नींद में

    नागौर जिले के भादवा गांव में रहने वाले पुरखाराम को हर कोई कुंभकरण कहता है। इसके पीछे की वजह पुरखाराम की बीमारी है। पुरखाराम को ऐसी बीमारी है कि आप भी सुनकर चौंक जाएंगे। पुरखाराम को एक्सिस हाइपरसोम्निया बीमारी है। इसके कारण वे साल में 300 दिन तक सोते हैं। उसका खाने से लेकर नहाना सब कुछ नींद में ही होता है। किसी काम के लिए नींद से जगाना हो तो 1 घंटा लगता है।

    पुरखाराम के सोने के बाद उन्हें उठाना नामुमकिन हो जाता है। एक बार सोने के बाद वह 25 दिन तक नहीं जागते हैं। पत्नी लिछमी देवी ने बताया कि नींद में ही पति को खाना खिलाती हैं। बाथरूम जाना होता है तो नींद में ही पुरखाराम बेचैन हो जाते हैं। परिजन उन्हें उठाकर बाथरूम ले जाते हैं।

    जहां उन्हें पकड़कर टॉयलेट सीट पर बिठाया जाता है। अभी तक पुरखाराम की नींद का कोई इलाज नहीं मिला है, लेकिन पुरखाराम की माता कंवरी देवी और पत्नी लिछमी देवी को उम्मीद है कि जल्द ही वह ठीक हो जाएंगे और पहले की तरह अपनी जिंदगी जिएंगे।

    तीन घंटे की मशक्कत के बाद 2 मिनट के लिए जागे : पुरखाराम के यहां भास्कर टीम पहुंची तो उनकी पत्नी लिछमी देवी से उन्हें जगाने की अपील की। 3 घंटे की मशक्कत के बाद पुरखाराम उठे, लेकिन सिर्फ 2 मिनट के लिए। कुर्सी पर बैठाया, लेकिन वहां भी बैठे-बैठे सो गए।

    इस दौरान थोड़ी देर की बातचीत में उन्होंने बताया कि उन्हें दूसरी कोई दिक्कत नहीं है, बस नींद ही नींद आती है। वह खुद जागना चाहते हैं पर इसमें शरीर उनका साथ नहीं दे रहा है। बोले- इलाज कराकर में भी थक गया हूं, अब सब कुछ राम भरोसे है।

  • सबसे ज्यादा लड़कियों में होती है बीमारी

    ट्राइकोफेजिया का सबसे पहला केस 1968 में सामने आया था। यह बीमारी 10 से 20 उम्र में होती है। लड़कियों में यह बीमारी होने की आशंका ज्यादा होती है। यह बीमारी रेपन्जल सिंड्रोम से होती है। यह सिंड्रोम उन्हें होता है जो छोटी-छोटी बातों पर बहुत नर्वस हो जाते हैं। इस नर्वसनेस को ओपसेसिव कंपलसिव निरोसिस कहा जाता है। यह एक बिहेवियर डिसऑर्डर है।

    जब यह डिसऑर्डर बढ़ जाता है, तो पीड़ित अपने बाल उखाड़ते हैं, जिसे ट्राइको टेलीमेनिया कहा जाता है। जब कोई उखाड़े गए बाल को निगलना शुरू कर दे तो उसे ट्राइकोफेजिया यानी बाल खाने की आदत कहा जाता है। ज्यादातर ट्राइकोफेजिया के शिकार मरीज अपने सिर से नोंचे हुए बाल ही निगलते हैं। कई ऐसे भी होते हैं, जो परिवार के दूसरे सदस्यों के कंघी से निकले बाल खाते हैं।

    एपिडर्मोलिसिस बुलोसा : गायब हो गई हाथ-पैर की अंगुलियां

    बाड़मेर में वानो की ढाणी, जालीपा आगोर में रहने वाले बालाराम के घर में 9 नवंबर 2014 को बेटे का जन्म हुआ था। बच्चे का नाम ओमप्रकाश रखा गया। यह खुशी महज तीन बाद चिंता में बदल गई। जब बालाराम ने देखा कि उसके बेटे की स्किन में संक्रमण हो गया। बालाराम ने बेटे को बाड़मेर के अस्पताल में डॉक्टर को दिखाया तो बच्चे को 200 किमी दूर जोधपुर के हॉस्पिटल में रेफर कर दिया गया।

    डॉक्टर ने जांच की तो पता लगा कि बच्चे को एपिडर्मोलिसिस बुलोसा नाम की दुर्लभ बीमारी है। इसमें बच्चे की स्किन में संक्रमण हो जाता है। स्किन में हाथ-पैर और शरीर के हर हिस्से में फफोले होने लगते हैं। इसके बाद अंगुलियां मुड़ने लगती हैं, फिर उनमें घाव हो जाता है।

    इनमें बहुत दर्द होता है। बीमारी का पता लगने के बाद बालाराम सरकारी से निजी हॉस्पिटल, वहां से एम्स और फिर अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में इलाज करवा चुके हैं, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। बच्चे की हाथ और पैर की अंगुलियां घाव के बाद गायब हो गईं। हाथ-पैर पर हर जगह घाव हैं।

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