बन रहा देश का सबसे अनोखा अक्षरधाम मंदिर, लोहे का इस्तेमाल नहीं, ग्लास-फाइबर के पिलर, साथ बैठ सकेंगे 3 हजार भक्त
जोधपुर और यहां के मंदिर बेहद खास हैं। इसमें एक और नाम जुड़ने जा रहा है अक्षरधाम मंदिर का। पिछले 5 साल से इस मंदिर को निर्माण चल रहा है। शहर के सूरसागर क्षेत्र के कालीबेरी में बन रहे इस मंदिर के साथ कई अनूठी कहानियां और रोचक किस्से जुड़े हैं। दावा किया जा रहा है कि अब तक बने अक्षरधाम मंदिरों में ये सबसे खास है।
क्योंकि, यहां के मुख्य मंडप का निर्माण बिना पिलर के होगा और ये पिलर ग्लास और फाइबर के होंगे। इसमें भी खास ये है कि ये एकमात्र मंदिर है, जिसमें लोहा काम में नहीं लिया गया है।
मंदिर को बोचासनवासी अक्षरधाम पुरुषोत्तम स्वामी नारायण संस्था बीएपीएस की ओर से बनाया जा रहा है। मंदिर में 3 हजार से ज्यादा पत्थरों की नक्काशी की जा रही है। मंदिर का काम 80 प्रतिशत तक पूरा हो चुका है, जबकि मंदिर का निर्माण 40 फीसदी हो चुका है।
अलग-अलग फेज में बन रहे इस मंदिर की ऊपरी मंजिल में घड़ाई का काम 90 प्रतिशत तक हो चुका है। बताया जा रहा है कि इस पूरे मंदिर निर्माण में करीब 1 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। दो मंजिला मंदिर का शिखर बनने के बाद 125 फीट ऊंचाई होगी। इस मंदिर में लगातार हवा आती रहे, इसके लिए दीवारों को बंद करने की बजाय जोधपुर के पत्थरों की जालियां (छीतर) लगाई जा रही हैं।
पहला मंदिर, जिसमें केवल जोधपुरी पत्थर
देशभर में करीब 150 अक्षरधाम मंदिर के मंदिर बने हैं। इन सभी मंदिर में धौलपुर के बंशी पहाड़ और मकराना के मार्बल का उपयोग हुआ है। लेकिन, पहला ऐसा मंदिर है जिसमें केवल जोधपुर का पत्थर ही काम लिया जा रहा है। इसके अलावा मंदिर के मुख्य मंडप के अलावा जहां पिलर लगेंगे, वो पत्थर के नहीं होंगे।