5 मिनट में यूवक की हुई मौत, क्या साइलेंट अटैक से दम तोड़ा, हार्ट ने रिस्पॉन्स करना किया बंद , परिजन मौत पर कंफ्यूज
राजस्थान के कोटा में 18 साल के कोचिंग स्टूडेंट की अचानक रूम पर ही मौत हो गई। कारण सामने नहीं आने से परिजन भी कंफ्यूजन में है। परिजनों का कहना है कि परितोष के कोई बीमारी नहीं थी। डॉक्टर के टिकट में हार्ट रिपॉन्स नहीं करना बताया है। परिजनों का कहना है कि कम उम्र में साइलेंट अटैक के चांस कम ही रहते है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सही कारण बताए जाएं।
कोटा मेडिकल कॉलेज के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. भंवर रणवा का कहना है कि 20 साल की कम उम्र में साइलेंट अटैक की संभावना कम रहती है। अभी एक भी केस रिपोर्ट नहीं हुआ। हो सकता है जन्मजात इशू रहा होगा। पैथोलॉजी सेंपल से ही पता चल सकेगा। 18 साल के स्टूडेंट के दिल में जन्मजात विकार हो। टेस्ट नहीं करवाया हो इसलिए पता नहीं चला हो। जब दिल काम करना बंद कर देता है तो ब्रेन इंजरी हो जाती है और 2 मिनट में ब्रेन डेड कम्प्लीट हो जाता है। ये टेम्प्रेचर व कंडीशन पर डिपेंड करता है।
बुधवार को हादसे के बाद मौके पर गए डीएसपी हर्षराज खरेड़ा ने बताया- घटना 7 बजकर 45 मिनट के आसपास की है। परितोष फर्स्ट फ्लोर पर रूम पार्टनर के साथ रहता था। उसके दोस्त आंनद ने परिजन आए थे,आनंद नीचे परिजनों से मिलने गया था। कुछ मिनट बाद ऊपर आया तो परितोष गेट पर अचेत पड़ा मिला था।
खरेड़ा ने बताया कि परितोष के हाथ में मग्गा नहाने के लिए था। 5 मिनट में ही वो अचेत होकर गिर गया। हादसे के बाद उसके रूम की तलाशी ली। रूम में किसी भी तरह का अज्ञात विषाक्त नहीं मिला। उसके शरीर पर चोट के निशान भी नही थे। सम्भवतयाः साइलेंट अटैक आने से उसकी मौत हुई। वैसे पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों का असली पता लग पाएगा।
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. भंवर रणवा ने कहा बदलती लाइफ स्टाइल में पूरी नींद नही लेना, स्ट्रेसफूल लाइन व खानपान गड़बड़ाने के कारण ऐसी स्थिति बन रही है। ई कॉमर्स सुविधा व बेड ईटिंग हेबिट बढ़ना भी एक बड़ा कारण है। पहले लोग रात 8-9 बजे तक सो जाते थे। अब देर रात तक सोशल मीडिया पर ज्यादा वक्त गुजारते है।
कोविड के बाद स्थितियां और बदली है। उस दौरान लोगों ने देशी नुस्खे,अलग अलग तरह की दवाइयां यूज की। जो थेरेपी रिकमंडेड नहीं थी जिसकी टेस्टिंग नही हुई थी। उनको रैंडमली यूज किया गया। बहुत सारे लोगों ने बहुत दिनों तक हाई डोज स्टोरेड खाए। स्टोरेड ऐसी दवाई होती है। जिसे 1 हफ्ते से ज्यादा नहीं दे सकते। जब तक ज्यादा जरूरत ना हो।
कोविड में लोगों ने साल साल भर तक स्टोरेड खाए हैं। स्टोरेड खाने से मांसपेशियां कमजोर, दिल की नसें कमजोर हो गई। आधों की हड्डियां खराब हो गई। इसके अलावा वायरस की वजह से बॉडी में भी बदलाव हुआ है। स्थिति ये है कि दिल की बीमारी का पहले 5 में 1 व्यक्ति 40 साल से कम उम्र मिलता था। अब 50 प्रतिशत 40 साल से कम उम्र के मिलते है। वैसे हमारे पास 20 साल से कम उम्र का केस रिपोर्ट नहीं हुआ है।20 से 25 व 25 से 30 उम्र का सप्ताह में एक केस आ जाता है।
परितोष के मामा राजदेव कुमार ने बताया मौत से 1 दिन पहले रात को परिजनों से बात हुई थी। तनाव जैसी कोई बात नहीं थी। परितोष का शव कपड़े खोलकर देखा, शरीर पर चोट कोई निशान नहीं था। इस उम्र में साइलेंट अटैक के चांस कम ही रहते। उसे कभी कोई बीमारी नहीं थी। उसके रूम पर जाकर देखा, रूम पार्टनर व मकान मालिक से बात हुई। सभी ने यही बताया अचानक गिर गया हॉस्पिटल आए तो उसकी मौत हो गई। डॉक्टर के पर्चे में भी हार्ट रिपॉन्स बंद होना लिखा हुआ है।
परितोष दो बहिनों का इकलौता भाई था। पिता खेती का काम करते है। पिता हार्ट के पेशेंट है।वो एयरपोर्ट से ही वापस लौट गए। उनकी स्थिति ऐसी नहीं थी कि कोटा आ सकें।जिला प्रशासन से मांग है कि पोस्टमार्टम में मौत के सही कारण सामने लाए। किसी की साजिश हो भी सकती है, नहीं भी हो सकती।