स्किन कैंसर है या नहीं, बताएगा फोन का कैमरा, मोबाइल में लगा लेंस कोशिकाओं की जांच करेगा, जानिए कैसे काम करेगी ये नैनोटेक्नोलॉजी
आने वाले दिनों में मोबाइल फोन के जरिए पता लगाया जा सकेगा कि किसी को स्किन कैंसर है या नहीं। इस के लिए नैनोटेक्नोलॉजी की मदद ली जा रही है। दरअसल, एक ऐसा स्मार्टफोन कैमरा लेंस बनाया गया है जो बर्थ मार्क या स्किन पर बने किसी भी तरह के निशान की डिटेल फोटो ले सकता है। इन तस्वीरों के जरिए बायोलॉजिकल सेल्स (जैविक कोशिकाओं) की जांच होगी और स्किन कैंसर का पता चल सकेगा।
नैनोटेक्नोलाजी या नैनोटेक ऐसी तकनीक है जिसमें किसी पदार्थ को सुपरमॉलीक्यूलर स्तर पर परिवर्तित या मैनिपुलेट कर दिया जाता है। इससे पदार्थ की प्रॉपर्टी पूरी तरह बदल जाती है। ये इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर क्लोदिंग, स्पोर्ट्स इक्विपमेंट्स से लेकर ब्यूटी प्रोडक्ट्स और मेडिकल साइंस तक सभी कुछ बदल रहा है।
फेज इमेजिंग के जरिए बायोलॉजिकल सेल्स की जांच होगी
किसी भी तरह की बीमारी का पता लगाने के लिए ऑप्टिकल माइक्रोस्कोप के जरिए बायोलॉजिकल सेल्स की जांच सबसे ज्यादा जरूरी है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन सेल्स में होने वाले बदलाव अक्सर बीमारियों का संकेत होते हैं। लेकिन ये सेल्स आसानी से दिखाई नहीं देतीं। इन सेल्स के कुछ हिस्से ट्रांस्पेरेंट या लगभग अदृश्य होते हैं। इन्हें देखने के लिए फेज इमेजिंग प्रोसेस का इस्तेमाल किया जाता है।
फेज इमेजिंग के जरिए किसी सेल से गुजरने वाली लाइट को एनालाइज किया जाता है। इसमें कोशिका के पारदर्शी हिस्से से जुड़ी जानकारी शामिल होती है। फिर इसे आसानी से देखा जा सकता है। इस प्रोसेस के लिए अब तक भारी और महंगे इक्विपमेंट्स इस्तेमाल किए जा रहे थे। अब इसी प्रोसेस को नैनोटेक्नोलॉजी के माध्यम से बदला गया है। इसके लिए एक नैनोमीटर बनाया गया है, जो काफी पतला है और लेंस की तरह दिखता है। इसे आसानी से फोन के कैमरे में लगाया जा सकता है।
इसके फोन के कैमरे में लगते ही खींची गई तस्वीरों की बारीकियां, कोशिका के पारदर्शी हिस्से से जुड़ी जानकारी मिल जाएगी। इससे स्किन कैंसर के बारे में पता चल जाएगा।
स्किन कैंसर को खत्म करने नैनोफायबर्स वाला बैंडेज भी तैयार
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस ने ऐसा बैंडेज विकसित किया है जो स्किन कैंसर को खत्म कर सकता है। बैंडेज को मैग्नेटिक नैनोफायबर्स से तैयार किया गया है जो गर्माहट देकर स्किन कैंसर वाली कोशिकाओं को खत्म कर सकता है। फिलहाल स्किन कैंसर का इलाज सर्जरी, रेडिएशन और कीमोथैरेपी से किया जा रहा है।
स्किन कैंसर के कुछ मामलों में इलाज हायपरथर्मिया थैरेपी से भी किया जाता है। इसमें हीट की मदद से कैंसर वाले टिश्यू को खत्म करने की कोशिश की जाती है। वैज्ञानिकों ने इसी थैरेपी का अलग उपाय उपलब्ध कराने के लिए बैंडेज विकसित किया है। जो कैंसर सेल्स को टार्गेट करके उन्हें खत्म करेगा।
ऐसे बना बैंडेज
इस बैंडेज में आयरन के ऑक्सिडाइज्ड नैनोपार्टिकल्स और बायोडिग्रेडेबल पॉलिमर हैं, जिसे सर्जिकल टेप पर लगाया गया है। जब इस टेप को मैग्नेटिक फील्ड मिलती है तो इसमें मौजूद मैटेरियल मिलकर गर्माहट देते हैं और कैंसर सेल्स को खत्म करने का काम करते हैं।
स्किन कैंसर दो तरह का होता है
- स्किन कैंसर की बड़ी वजह है सूरज से निकलने वाली अल्ट्रावॉयलेट किरणें। यह सबसे कॉमन कैंसर है। यह दो तरह का होता है। पहला मेलानोमा और दूसरा नॉन-मेलानोमा। इनमें सबसे खतरनाक है मेलानोमा। यह मौत का खतरा बढ़ाता है। इस स्थिति में स्किन में काले तिल की तरह दाग होने लगते हैं।
- कैंसर पर रिसर्च करने वाली एक अंतरराष्ट्रीय एजेंसी के अनुमान के मुताबिक, 2020 में मेलेनोमा के 3,25,000 नए मरीज सामने आए, वहीं 57,000 मौतें हुई।
- एक रिसर्च के मुताबिक, 2040 तक सबसे खतरनाक स्किन कैंसर के मरीज दोगुना हो जाएंगे। वहीं, दुनिया में 68% ज्यादा लोग इससे अपनी जान नहीं बचा पाएंगे। इस कैंसर को मेलेनोमा कहते हैं। स्किन कैंसर का हर 5 में से 1 मरीज मेलेनोमा का होता है।
- दुनिया के ज्यादातर देशों में 50 साल से पहले महिलाओं और उसके बाद पुरुषों में इस कैंसर के होने का खतरा ज्यादा है।