ज्ञानवापी से जुड़े एक आवेदन पत्र पर आज वाराणसी की कोर्ट में सुनवाई हुई। इस आवेदन पत्र में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी और उनके भाई अकबरुद्दीन ओवैसी के अलावा 2000 अज्ञात लोगों पर FIR दर्ज करने की मांग की गई है।
अपर जिला जज (नवम) की अदालत में प्रतिवादी पक्ष यानी अखिलेश यादव, असदुद्दीन ओवैसी और अन्य अपना जवाब दाखिल करेगा। कोर्ट ने केस से जुड़े पक्षकारों और प्रतिवादी पक्ष को समन देकर तलब किया था। दोनों नेताओं के वकीलों ने वकालतनामा दाखिल कर जवाब के लिए समय मांगा। इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई की अगली डेट 7 जुलाई तय की है।
सिविल कोर्ट के एडवोकेट हरिशंकर पांडेय का आरोप है कि वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग को लेकर अखिलेश यादव और ओवैसी ने धार्मिक भावनाएं आहत करने वाला बयान दिया था।
अखिलेश यादव कहा था, “पीपल के पेड़ के नीचे पत्थर रख कर झंडा लगा दो तो वही भगवान और शिवलिंग हैं। जबकि ओवैसी ने कहा था, ” हम अब किसी और मस्जिद को खोने नहीं देंगे, ज्ञानवापी फैसला पूजा स्थल अधिनियम 1991 के खिलाफ है। ये भविष्य में ऐसे बहुत से मसलों को खोल देगा, देश में अस्थिर प्रभाव पैदा कर सकता है।”