मायावती को कटघरे में किया खड़ा, BSP कार्यालय से आंबेडकर और कांशीराम की प्रतिमाओं को हटाने पर हुआ विवाद

 

लखनऊ में दो दिन पहले बसपा कार्यालय से मायावती, आंबेडकर और कांशीराम की प्रतिमाएं हटाकर उन्हें मायावती के निजी आवास में स्थापित कर दिया गया था। अब इसको लेकर तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। बहुजन भारत संस्था के अध्यक्ष पूर्व आईएएस कुंवर फतेह बहादुर ने कहा है कि बसपा कार्यालय से आंबेडकर और कांशीराम की प्रतिमा हटाना बहुजन आंदोलन के खिलाफ है। मायावती को यदि प्रतिमा हटानी ही थी तो केवल अपनी हटातीं।

संस्था मुख्यालय पर हुई बैठक में संस्था पदाधिकारियों ने बसपा प्रमुख के फैसले की निंदा की। फतेह बहादुर ने कहा कि बहुजन समाज में जागरूकता पैदा करने वाले पथ प्रदर्शकों की प्रतिमा हटाने से बहुजन समाज जिसमें दलित, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक समाज शामिल हैं, सभी निराश हैं।

दलील है कि पार्टी कार्यकर्ता पार्टी मुख्यालय में नहीं बल्कि मायावती के आवास पर आते हैं। इसलिए प्रतिमा वहां लगाई हैं। वास्तविकता यह है कि मायावती के आवास पर कोई भी नेता समय लिए बिना उनसे नहीं मिल सकता। कार्यालय में आमजन की समस्या को सुनने के लिए भी कोई नहीं रहता। यहां भी आमजन के लिए दरवाजे बंद ही रहते हैं। यह बहाना हास्यास्पद है।

पार्टी के इस रवैये से पार्टी का जनाधार और भी ज्यादा कमजोर होगा। इस मौके पर संस्था महासचिव चिंतामणि, उपाध्यक्ष नंद किशोर, कृष्ण कन्हैया पाल आदि मौजूद थे।

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