मुन्ना बक्श ब्यूरो चीफ
बांदा। खप्टिहा की बालू खदान 100/3 में केन नदी की जलधारा को रोककर पुल बनाकर बालू का अवैध खनन व परिवहन किया जा रहा है।
खदान संचालक सोनू सिंह के रसूख के सामने जिला प्रशासन नतमस्तक है। खप्टिहा खदान 100/3 का खनन माफिया खदान संचालक सोनू सिंह केन नदी की जलधारा को बांधकर भारी भरकम मशीनों से अवैध खनन कर रहा है।
खप्टिहा खदान संख्या 100/3 के काले कारनामे लगातार अखबारों की सुर्खियों में रहने के बावजूद भी खनिज विभाग इस खदान में छापामार कार्यवाही करने से थर्रा रहा है।
खदान संचालक सोनू सिंह के रसूख आगे जिले का खनिज विभाग अदना साबित हो रहा है।
खनिज विभाग अगर मूकदर्शक बना बैठा रहा तो लोगों को पानी के लिए भारी संकट का सामना करना पड़ेगा।
जून का महीना समाप्त होने वाला है लोग बाग गर्मी से बेहाल हो रहें हैं। केन नदी से शहर व गांव के लोगो को पेयजल का बहुत बड़ा सहारा है ।
शहरी व ग्रामीणों को केन नदी जीवनदायिनी साबित होती है।
लेकिन खप्टिहा खदान 100/3 के खनन माफिया की कारगुज़ारी से केन नदी का अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर है।
खप्टिहा 100/3 में खनिज विभाग व जिला प्रशासन को धता बताते हुए एनजीटी के सारे नियमो को पैरों तले रौंदकर खदान संचालक खनन माफिया सोनू सिंह द्वारा केन नदी की जलधारा को रोककर भारी भरकम प्रतिबंधित मशीनों से दिन रात अवैध खनन का कार्य किया जा रहा है।
खप्टिहा बालू खदान संख्या 100/3 में मनमानी का दौर चरम पर है।
खप्टिहा बालू खदान संख्या 100/3 का संचालक रसूखदार है यही कारण है कि खनिज विभाग का अधिकारी इस खदान में छापामार कार्यवाही करने से थरथरा रहा है।
खदान संचालक की दबंगई की वजह से काफी अर्से से पूरी तरह से अनियमिततापूर्वक संचालित खदान में किसी अधिकारी की निगाह नहीं जाती है। अगर यही हाल रहा तो जीवनदायिनी केन नदी का अस्तित्व समाप्त करने में खनन माफिया सोनू सिंह को समय नहीं लगेगा और गर्मी के दिनों में पानी की त्राहि-त्राहि मंच जाएगी।
एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित जिले की जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल जल संरक्षण अभियान चलाकर लोगों को पानी देने का दम भरते हैं तो वहीं दूसरी तरफ उन्हीं के अधिकारी योजनाओं को पलीता लगाकर उनकी छवि को धूमिल करने पर अमादा है।
आखिर खप्टिहा खदान संख्या 100/3 में केन नदी की जलधारा में बनें पुल को कौन करेगा ध्वस्त ?
प्रदेश में योगी जी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने अपने छः वर्ष पूरे कर लिए हैं बहुत सी पूर्व की सरकारों की नीतियों व रीतियों में बदलाव हुआ है और जीरो टॉलरेंस पर काम करने के दिशा निर्देश पूरे प्रदेश में उच्च अधिकारियों से लगाकर निचले स्तर तक भेज दिया गया है
और माफियाओं पर कड़ी कार्यवाही लगातार जारी है
जिससे सरकार का विज़न आमजन को स्पष्ट हो
कुछ तो बदलाव हुए लेकिन शायद खनन माफियाओं पर मुख्यमंत्री के आदेश का प्रभावी असर नहीं हुआ है
जिस कारण पिछली सरकारों में सिंडीकेट व अवैध खनन माफियाओं ने चेहरे बदलकर पर्दे के पीछे से इस खनिज संपदा की लूट करने में अपनी मजबूत पकड़ बना रखी है जो समय समय पर प्रशासन नेताओं व प्रभावशाली लोगों को अपनी सुविधा अनुसार नोटों के दम पर खरीद लेते हैं ।
रहा सवाल लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ ( पत्रकारिता) का तो तेजी से व्यापारिक हुए मीडिया संस्थानों के कुछ कर्मचारी भी इस लाल सोने की लूट से मालामाल होने के लिए इन खनन माफियाओं की कठपुतली बनकर ईमानदार पत्रकारिता की बोली लगाकर उनको बेचने वाले व्यापारी बन गए हैं कुछ को खरीद लिया कुछ को डरा धमकाकर शांत कर दिया।
जिसका उदाहरण है कि अवैध खनन व ओवरलोडिंग पूर्व की तरह बादस्तूर जारी है
जिनमें खनन व एनजीटी के नियमों को ताक में रखकर अवैध खनन का कार्य किया जा रहा है।
गत दिनों खप्टिहा खदान 100/3 के अवैध खनन के गड्ढे में डूबकर दो चचेरी बहनों की मौत हो चुकी है।
कार्यवाही के नाम पर सिर्फ रस्म अदायगी हो रही।और यह पूरा खेल बदस्तूर नियमों के विपरीत खेला जा रहा है।
खप्टिहा 100/3 के पट्टाधारक अवैध बालू खनन व ओवरलोडिंग के आदी हैं
इसलिए है वह शुरू से ही अपने सीमांकन से बाहर जलधारा के बीच भारी भरकम एक दर्जन से अधिक दैत्याकार मशीनों से अवैध खनन कर रहा है।
प्रशासनिक व खादी के दम पर खनन माफिया नदी की जलधारा को बांधकर अवैध खनन व परिवहन कर रहा है।
जिसको मीडिया ने अपनी पत्रकारिता से सच लिखा तो एक बहरुपिया ठेकेदार ( पत्तलकार) को मीडिया मैनेजमेंट की जिम्मेदारी सौंपी गई इनके बारे में सूत्रों से जानकारी मिली है कि यह समय समय पर खनन माफियाओं से जुगलबंदी कर लाखों रुपए लेकर अपनी जेब और तिजोरियां भर ली है।
मुठ्ठी भर पैसों के लिए अपनी पत्रकारिता की छवि को बेदखल कर खनन माफियाओं के पैरों तले पवन अमृत विचार को बेचकर ईमानदार पत्रकारिता को सरेआम उसकी छवि को तार तार कर रहा है।
खनन माफिया से मीडिया मैनेजमेंट का ठेका लेने वाला पत्तलकार पवन अमृत विचार ‘ विचार करके अमृत को खुद पी गया है जब पवन का झोंका आया तो जिले की पत्रकारिता में बेनकाब हुआ पवन तिलमिला गया और अपने अमृत विचार का रसपान करता रह गया ।
बताते चले कि इसीलिए कुछ मीडिया संस्थानों ने पहले भी इनसे तौबा कर ली है।
ऐसे सवाल बनकर रह गया है कि खनिज अधिकारी या जिला प्रशासन द्वारा कोई ठोस कार्यवाही अमल लाई जाएगी या सब कुछ देखकर मूकदर्शक बनकर बैठे रहेंगे।