लखनऊ ईदगाह के इमाम खालिद रशीद फरंगी महली ने ईद-उल-अजहा के मौके पर गाइडलाइंस की जारी, खुले में नमाज पढ़ने और कुर्बानी ना करने की अपील की

 

 

लखनऊ में शनिवार को इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के चेयरमैन और लखनऊ ईदगाह के इमाम खालिद रशीद फरंगी महली ने ईद-उल-अजहा के मौके पर कुछ गाइडलाइंस जारी की है। उन्होंने अपील की है कि जितने भी हैसियत दार मुसलमान हैं, वो हर बार की तरह इस बार भी कुर्बानी करें। इस साल 29 और 30 जुलाई को कुर्बानी की जाएगी। ऐसे में सभी को गाइडलाइंस का पालन जरूर करना होगा।

 

12 प्वॉइंट की गाइडलाइन की जारी—–

सिर्फ और सिर्फ उन्हीं जानवर की कुर्बानी की जाए, जिन पर कोई कानूनी रोक नहीं है।

कुर्बानी किसी भी पब्लिक प्लेस पर ना की जाए।

कुर्बानी के लिए किसी बड़े मदरसे या निजी जगह का ही इस्तेमाल करें।

कुर्बानी के जानवर का खून नाली में ना बहे। इसका खास ख्याल रखा जाए।

खून को कच्ची जमीन में दफनाया जाए, जिससे हाइजीन भी बनी रहे और वो पौधों की खाद का कामभी करे।

कुर्बानी के मीट को अच्छी तरह से पैक करके ही एक दूसरे को भेजें।

मीट का एक हिस्सा गरीबों के लिए जरूर रखें।

कुर्बानी होते वक्त कोई फोटो, वीडियो ना बनाएं।

कोई फोटो, वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड ना किया जाए।

ईद-उल-अजहा की नमाज पूरे इंतजाम और इत्मिनान के साथ अदा की जाए।

नमाज ईदगाहों, मस्जिदों में ही अदा करें। सड़कों पर बिल्कुल भी नमाज अदा ना करें।

इस त्योहार के मौके पर अपने घर के साथ-साथ, मुल्क की तरक्की, खुशहाली के लिए भी दुआ करें।

 

पढ़िये, किसके लिए कुर्बानी देना है अनिवार्य 
कुर्बानी किन पर अनिवार्य है। इस्लाम धर्म में इसके लिए नियम हैं। इन नियमों के अनुसार, जिसके पास साढ़े 52 तोला चांदी या इतनी ही चांदी के बराबर कीमत हो। उस पर कुर्बानी देना अनिवार्य है। अगर कोई व्यक्ति आर्थिक रूप से कमजोर है। उस पर कुर्बानी देना अनिवार्य नहीं किया गया है। इसके अलावा कुर्बानी का मीट अमूमन 3 भाग में बांटा जाता है। पहला भाग खुद के घर परिवार के लिए, दूसरा रिश्तेदारों, दोस्तों, पड़ोसियों के लिए और तीसरा गरीबों, जरूरतमंदों के लिए।

 

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