राजेंद्र प्रसाद पांडेय की स्मृति को समर्पित दो-दिवसीय आयोजन डॉक्टर दयानिधि मिश्र की अध्यक्षता मे हुआ।
रोहित सेठ
वाराणसी के रथयात्रा चौराहे के समीप कन्हैयालाल मोतीवाला सभागार में हिंदी और संस्कृत के वरिष्ठ कवि, कथाकार, वार्ताकार तथा आलोचक डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद पांडेय की स्मृति को समर्पित दो-दिवसीय आयोजन के आरम्भ में पांडेय जी की हालिया प्रकाशित हुई किताबों ‘नादिया नाँव संजोग’ और ‘प्रीति न करयो कोये’ और ‘lभाषा चिंतन के आयाम’ का लोकार्पण डॉक्टर ओम् धीरज डॉक्टर जितेंद्र नाथ मिश्र और डॉक्टर अरुणेश नीरन की उपस्थिति में हुआ। इस आयोजन की अध्यक्षता डॉक्टर दयानिधि मिश्र ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉक्टर उदय प्रताप सिंह उपस्थित थे । इस अवसर पर पांडेय जी के जीवन और साहित्य के मूल्यांकन पर केंद्रित लगभग ५०० पृष्ठ की पुस्तक ‘राजेंद्र प्रसाद पांडेय एक शिनाख्त’ का भी लोकार्पण हुआ जिसका आयोजन पांडेय जी की धर्मपत्नी डॉक्टर शशिकला पांडेय जी ने किया है । नांदी सेवा न्यास के सचिव यशोरत्न ने सभी मंचासीन लोगों का माल्यार्पण कर, उत्तरीय ओढ़ा कर एवं स्मृति चिन्ह के साथ समन्नित किया। इस अवसर पर बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अजीवक संरक्षक सदस्य भी विद्यमान रहे।
ओम् धीरज जी ने पांडेय जी को साहित्यिक रत्न के रूप में स्मरण किया। जितेद्रनाथ मिश्र जी ने अपने वक्तव्य में कहा की पांडेय जी ने अपनी साहित्यिक दृष्टि विकसित की और विद्वानों की बात पर आँख बंद कर के विश्वास नहीं किया। उन्होंने कहा उनकी जीवन के प्रति सम्मान और आसक्ति थी । डॉक्टर अरुणेश नीरन जी ने पांडेय जिनके साथ व्यतीत किया समय याद करते हुए कहा की उनकी तर्कबद् बौधिक टकराव में ख़ासी रुचि थी । उन्होंने शशिकला पांडेय जी को नांदी पत्रिका को फिर से शुरू करने के लिए बधाई दी। उदय प्रताप सिंह जी ने पांडेय जी के लेखन पर शोध करने का आग्रह करते हुए कहा कि वे साहित्य की त्रिवेणी थे – साहित्य, प्रशासन और मित्रता। उन्होंने कहा कि वे निर्गुणोपासक थे।