सीएचसी में सुविधाओं का टोटा, दवा के लिए भटक रहे मरीज – जांच के लिए मरीजों को बाहर खुली प्राइवेट पैथालाजी में खर्च करनी पड़ती रकम – एक स्वीपर कम चैकीदार होने की वजह से अस्पताल परिसर में रहती गंदगी
खागा/फतेहपुर। खखरेरू कस्बा स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं पाने के लिए बाहर खुली प्राइवेट पैथालाजी तक दौड़भाग करनी पड़ती है। वर्ष 2006 से संचालित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 16 साल बाद भी एक्सरे तथा सीबीसी (कंपलीट ब्लड चेकअप) मशीन न लगने से मरीजों को रकम खर्च करनी पड़ती है। अस्पताल में वर्षों पहले आया जनरेटर भी खराबी की भेंट चढ़ गया।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा अधीक्षक डा. संजय सोनकर के अलावा महिला डाक्टर, दंत चिकित्सक तथा चार एमबीबीएस चिकित्सकों की तैनाती है। छह डाक्टरों तथा अन्य जरूरी स्टाफ की तैनाती होने के बाद भी मरीजों को दिन भर खागा तथा फतेहपुर जिला अस्पताल रेफर किया जाता है। बीते छह महीने की बात करें तो दिन में आने वाले मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। प्रतिदिन ओपीडी में जहां 70 से 100 मरीज आते हैं, वहीं रात में आने वाले मरीजों की संख्या इक्का-दुक्का ही रहती है। पंकज, अखिलेश, रवि यादव, भानु प्रताप सिंह, सत्येंद्र शुक्ला आदि लोगों का कहना था कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 35 से 40 गांव के मरीज बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिलने की उम्मीद लेकर आते हैं। सर्दी, जुकाम, बुखार व पेट दर्द की शिकायत वाले मरीजों का ही इलाज होता है। हड्डी या फिर अन्य बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद विशेषज्ञ चिकित्सक न होने की वजह से रेफर किया जाता है। एक स्वीपर कम चैकीदार होने से परिसर तथा अस्पताल के अंदर गंदगी रहती है। इससे निपटने का प्रबंध कई वर्षों बाद भी नहीं हो सका।
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इनकी है तैनाती
चिकित्सा अधीक्षक संजय सोनकर के अलावा सीएचसी में महिला चिकित्सक डा. वंदना वर्मा, डा. अभिनव कौशल, डा. राजू राव, डा. प्रवीण कामेश तथा दंत चिकित्सक डा. रफत की तैनाती है। तीन फार्मासिस्ट तथा तीन स्टाफ नर्स की तैनाती है। कई चिकित्सक परिसर में बने सरकारी आवास में ही रुकते हैं। जिनसे मरीजों को आकस्मिक सेवाएं भी मिल जाती हैं।
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जनरेटर की खराबी नहीं हो सकी दूर
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लंबे इंतजार के बाद वर्ष 2019-20 में जनरेटर लगाया गया। वह भी कुछ दिन चलने के बाद खराबी की भेंट चढ़ गया। डीजल के लिए भी अलग से कोई बजट नहीं जारी हो रहा है। जिसके कारण जनरेटर को कभी-कभार ही चलाया जाता था। बीते एक साल से जनरेटर खराब खड़ा है। जिसकी वजह से रात में आने वाले मरीजों, तीमारदारों को परेशानी उठानी पड़ती है।
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– सीएचसी में जितना भी स्टाफ है, मरीजों को बेहतर सेवाएं देने का प्रयास करता है। संसाधन की कमी से कई बार मरीजों को समस्या उठानी पड़ जाती है। एक्सरे मशीन के लिए उच्चाधिकारियों को पत्राचार किया गया है। सीबीसी मशीन और जनरेटर खराब हैं, उच्चाधिकारियों ने संज्ञान लिया है- डा. संजय सोनकर, चिकित्सा अधीक्षक, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खखरेरू।