श्रावण की शिवरात्री का व्रत मंगलकारी:-मा.राजेश 

 

महेन्द्रगढ। कोई भी पर्व या त्योहार जन जन मे नैतिकता एवं सच्चरित्रता के भावों को जन्म देकर अपनी सांस्कृतिक धरोहर से अवगत करवाते है ये विचार शिक्षक व समाजसेवी मा.राजेश उन्हाणी ने शिवरात्री के पावन पर्व पर अपने परिवार के साथ गांव के शिव मंदिर मे भगवान शिवजी को जलाभिषेक के उपरांत शिव भक्तो से व्यक्त किये।
उन्होंने आगे कहा कि शिव का स्थान हिंदू धर्म मे सर्वोपरि है वह सर्वशक्तिमान है शिव का तीसरा नेत्र बड़ी से बड़ी शक्ति को जलाकर खाक करने क्षमता रखता है इसी प्रकार उनकी श्रद्धा मे रखा जाने वाला उपवास शिवरात्री का मर्म भी मंगलकारी होता है। श्रावण की शिवरात्रि का पर्व हम सबको लोभ ,मोह, लालसा के स्थान पर त्याग, परहित व साधना की प्रेरणा देता है।
शिव का आदर्श हमे बताता है कि जिसको जितनी शक्ति मिलती है उसका उतरदायित्व भी उतना ही महान होता है मानव जीवन की सफलता इसी मे है कि हम व्यक्तिगत लोभ लालच या वैभव सुख का ख्याल छोड़कर अपनी शक्तियों का प्रयोग परोपकार के लिए करे।
संसार मे तरह तरह कि भोग सामग्री का कोई अंत नही है मानव जिसका जितना भोग करेगा उसकी कामना उतनी ही बढ़ती जाएगी और वह उसी भोग विलास मे फंस कर रह जायेगा।आज संसार मे जितने झगड़े झंझट होते हैं उनके पीछे यही परिग्रह की कामना होती है।
अंत मे मा.राजेश ने अपने संदेश मे कहा कि भगवान शिव औघरदानी कहे जाते है जो बेल के पत्तों और धतूरो से खुश हो जाते हैं उन्हे अपने लिए किसी प्रकार के वैभव की आवश्यकता नही होती हैं वह अनायास ही कष्ट से पीड़ितों की कामनाएं सिद्ध करते रहते आप इसलिए महाशिवरात्री का मर्म सर्वत्र मंगलकारी माना गया है व शिव को देवो के देव महादेव कहे गये है।

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