मेरठ में बिजली विभाग की लापरवाही से गई 6 कांवड़ियों की जान, 10 लोग झुलसे और हर तरफ मची चीख पुकार

 

मेरठ के भावनपुर थाना क्षेत्र के राली चौहान गांव में शनिवार रात को दर्दनाक हादसा हो गया। जल चढ़ाकर घर लौट रहे डाक कांवड़ियों की ट्रैक्टर -ट्राली 11 हजार केवी की हाईटेंशन लाइन से टकरा गई। करंट लगने से छह कांवड़ियों की मौत हो गई। मृतकों में दो सगे भाई और चाचा-भतीजा शामिल हैं। सभी मृतक राली चाैहान के रहने वाले हैं। बुरी तरह से झुलसे 10 लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।

घटना से गुस्साए कांवड़ियों ने रोड पर जाम लगा दिया। विद्युत विभाग के अधिकारियों को सस्पेंड करने की मांग की। कांवड़ियों का कहना था कि बिजली आपूर्ति बंद नहीं किए जाने से हादसा हुआ। जिलाधिकारी दीपक मीणा ने छह कांवड़ियों की मौत की पुष्टि करते हुए हादसे के कारणों की जांच के लिए मजिस्ट्रेटियल जांच बैठा दी है।

अधिकारियों के मुताबिक मृतकों में हिमांशु (14) उसका भाई प्रशांत (16) पुत्र सुरेश चंद्र सैनी, लखमी (45) पुत्र भगीरथ और उनका भतीजा मनीष सैनी (18) पुत्र सुशील, महेंद्र (45) पुत्र कमलू और लक्ष्य पुत्र सुनील (12) हैं। गांव के लोगों ने बताया कि राली चौहान गांव के 16 कांवड़िया गुरुवार को हरिद्वार से डाक कांवड़ लेने गए थे। शनिवार रात को सवा आठ बजे डाक कावंड़ लेकर गांव लौट रहे थे। भावनपुर थाना क्षेत्र में गांव से एक किलोमीटर पहले अचानक से 25 फीट ऊंची डाक कावंड़ के डीजे का फ्रेम 11 हजार केवी की हाईटेंशन लाइन से टकरा गया।
करंट लगने से सभी कांवड़िया झुलस गए। घायलों को आनंद अस्पताल, मेडिकल कॉलेज और दूसरे अस्पतालों में भर्ती कराया। आनंद अस्पताल में हिमांशु, महेंद्र, प्रशांत, लखमी और लक्ष्य को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। मनीष की मेडिकल कॉलेज में मौत हो गई। जिलाधिकारी दीपक मीणा ने बताया कि झुलसे हुए लोगों को तत्काल उपचार दिलाया जा रहा है। डॉक्टरों की टीम अस्पतालों में जा रही है। छह कावड़ियों की मौत के बाद गांव में कोहराम मच गया। परिजनों का रो-रोकर हाल बेहाल है।
हादसे के बाद जब ग्रामीण मौके पर पहुंचे तो सभी इधर-उधर पड़े थे। जिन्हें देखकर चीत्कार मच गई। आनन-फानन में अलग-अलग अस्पतालों में लेकर पहुंचे। कुछ ग्रामीण बोले भगवान भोलेनाथ ऐसी क्या गलती हुई जो यह मनहूस पल दिखाया। सभी लोगों ने अपनी मेहनत की कमाई से चंदा इकट्ठा किया था और पूरी भक्ति के साथ गंगाजल लेकर आए थे। यह हादसा अब पीड़ित परिवारों को जिंदगी भर का दर्द दे गया।
हादसे का पता चलते ही गांव का बच्चा, बुजुर्ग और महिलाएं घटनास्थल की तरफ दौड़ पड़े। छिलौरा समेत कई अन्य गांवों के ग्रामीण भी वहां पहुंच गए। किसी भी घर में चूल्हा नहीं जला। ग्रामीणों का कहना है कि गांव में यह पहला हादसा है जिससे पूरे गांव में चीत्कार मच गई। इस दर्दनाक मंजर को जीवन भर नहीं भूलाया जा सकता।
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