नहीं मिली एंबुलेंस तो बीमार को हाथ ठेले पर लेकर अस्पताल पहुंची मां और पत्नी, इलाज में देरी से मरीज की हुई मौत
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले से स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोलती एक तस्वीर सामने आई है। जब एक मां को अपने बेटे को ठेले पर लेटा कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तब ले जाना पड़ा और इलाज न मिल पाने के अभाव में उसकी मौत हो गई। इतना ही नहीं यहां से मौत के बाद शव वाहन न मिल पाने पर परिजनों को उसी ठेले पर ही शव को रखकर घर ले जाना पड़ा।
मामला सोमवार का बक्सवाहा क्षेत्र के वार्ड नंबर 14 का है जहां की जशोदा बंसल(मां) और उसकी पत्नी महेंद्र बंसल का इलाज कराने के लिए हाथ ठेला से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची थीं। सामने आई तस्वीरों में उसकी मां, और पत्नी हाथ ठेले पर लादकर उसे पैदल ही अस्पताल ले जा रहे थे, लेकिन देरी से अस्पताल पहुंचने की वजह से उसकी मौत हो गई। इस पर परिजनों ने आरोप लगाते हुए कहा कि अगर समय पर एंबुलेंस और समय पर इलाज मिल जाता तो उसकी मौत नहीं होती, लेकिन एंबुलेंस नहीं मिलने और समय से अस्पताल न पहुंच पाने से महेंद्र की जान चली गई।
मृतक की मां हमारे बेटे की पीठ में एक बड़ा ट्यूमर था जिसका इलाज जबलपुर मेडिकल कॉलेज में होना था। दरअसल कुछ दिन पहले जब हम बक्सवाहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इलाज के लिए पहुंचे तो हमे दमोह अस्पताल रेफर कर दिया गया। जहां दमोह में इलाज ना होने के कारण उन्हें जबलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। इलाज के लिए आयुष्मान कार्ड भी लगाया लेकिन अस्पताल कार्ड का उपयोग ना समझते हुए हम लोगों का बिना इलाज किए ही हॉस्पिटल से बाहर कर दिया और कहा कि आप के मरीज का ऑपरेशन नहीं हो सकता, अगर आपको ऑपरेशन करवाना है तो आप पैसों की व्यवस्था करिए।
जसोदा बंसल ने बताया कि बेटे महेंद्र का ट्यूमर सोमवार सुबह अचानक फूट गया जिस कारण से उसको घबराहट के साथ-साथ दर्द होने लगा। इसके बाद हमने कई बार 108 को कॉल किया लेकिन फोन नहीं लगा। पैसे के अभाव में मैं खुद ही मोहल्ले में रखे हाथ ठेले को उठाकर उस पर बेटे को लेटा कर पैदल अस्पताल की ओर चल पड़ी। 1 किलोमीटर का सफर तय कर अस्पताल पहुंची जहां डॉ आसाटी और कंपाउंडर सचिन ठाकुर ने यथा संभव इलाज किया लेकिन बकस्वाहा में प्राथमिक इलाज के बाद दमोह रेफर कर एंबुलेंस का इंतजार किया जा रहा था तब तक मेरे बेटे ने दम तोड़ दिया।
मामले में BMO डॉ. ललित उपाध्याय का कहना है कि उनके परिवार ने शव वाहन की मांग ही नहीं की। जैसे ही हमें जानकारी लगी वैसे ही शव वाहन की व्यवस्था कराई गई, लेकिन वाहन आने से पहले ही परिजन शव को हाथ ठेले पर लेकर चले गए।
अब ऐसे में सवाल उठता है। जब मरीज को बक्सवाहा से दमोह और दमोह से जबलपुर रेफर किया गया था, और उस पर आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद भी उसे जबलपुर मेडिकल में मरीज को इलाज नहीं दिया गया। गौरतलब है कि सरकार गरीब परिवार के इलाज के लिए आयुष्मान कार्ड बना रही है। जिससे कि गरीब परिवार का तुरंत और बेहतर इलाज हो लेकिन इसका लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है।