संस्थागत प्रसव से कम की जा सकती है मातृ-शिशु मृत्यु दर – प्रसव पूर्व अस्पताल का चयन ही जच्चा-बच्चा की जान बचाने में सक्षम – संस्थागत प्रसव के दौरान प्रशिक्षित स्टॉफ ही निभाते हैं सुरक्षित प्रसव में अहम भूमिका

फतेहपुर। संस्थागत प्रसव से मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम किया जा सकता है। इसके लिये जरूरी है कि प्रसव पूर्व ही अस्पताल का चयन कर लिया जाये क्योंकि संस्थागत प्रसव के दौरान प्रशिक्षित स्टॉफ ही जच्चा बच्चा की जान बचाने में सक्षम है। इसी उद्देश्य से यूपीटीएसयू के सहयोग से जिला महिला चिकित्सालय में संस्थागत और गुणात्मक प्रसव को बढावा देने के लिये 21 दिवसीय एसबीए (स्किल्ड बर्थ अटेंडेंट) प्रशिक्षण शुरू किया गया है। इसका शुभारंभ करते हुए मुख्य चिकित्साधिकारी डा. अशोक कुमार ने जानकारी दी। सीएमओ डा. अशोक कुमार और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. रेखारानी ने किया।
सीएमओ ने बताया कि जनपद के जिला चिकित्सालय में 21 दिवसीय एसबीए प्रशिक्षण शुरू किया गया है। इमसें संस्थागत और गुणात्मक प्रसव के लिये दक्षता बढ़ाने के संबंध में एएनएम, स्टाफ नर्स और आयुष महिला चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिया गया। ताकि मातृ मृत्यु दर व शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सके। प्रशिक्षणार्थियों को प्रसव पूर्व, प्रसव के दौरान तथा प्रसवोपरांत प्रसव प्रक्रिया को सुरक्षित बनाने और किसी भी जटिलता की स्थिति में आकस्मिक चिकित्सा सुविधा की व्यवस्था व आवश्यकता के अनुसार उच्च संदर्भन के बारे में प्रशिक्षित किया जा रहा है। बताया कि इसके पहले जून 2023 में 12 स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया था। प्रशिक्षण में प्रसव के दौरान मातृ शिशु की स्वास्थ्य सम्बन्धित जटिलताओं के प्रबंधन के बारे में प्रशिक्षित किया जा रहा है। सीएमओ ने कहा कि सभी एएनएम और स्टाफ स्टॉफ नर्स को मां और बच्चे के जीवन को सुरक्षित और स्वस्थ रखने के लिये अपना शत प्रतिशत योगदान देने के लिये प्रेरित किया। उन्होंने अपील किया कि चिकित्सालयों या उप स्वास्थ्य केंद्रों पर आने वाली गर्भवती महिलाओं का प्राथमिकता से सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित करायें। गर्भवती को प्रोटीन के लिये दालों, फलियों, दूध, दही, पनीर और मट्ठे के अलावा अंडे से मिल सकता है। शरीर के लिये विटामिन बहुत जरूरी है। ये यह ताजी सब्जियों, हरी पत्तेदार सब्जियां सब्जियों, पालक गोभी टमाटर और फलों एवं सूखे मेवों से मिलता है। जिला मातृत्व स्वास्थ्य परामर्शदाता आलोक कुमार ने बताया कि संस्थागत प्रसव सेवाओं के विस्तार तथा दूरस्थ उप केंद्रों पर भी सुरक्षित व संस्थागत प्रसव गतिविधियां संचालित करने के दृष्टि से यह प्रशिक्षण महत्वपूर्ण है। इसमें सीएचसी, पीएचसी एवं उप केंद्रों पर तैनात समस्त एएनएम और स्टाफ नर्स प्रतिभागी हैं। प्रसव के दौरान और उसके बाद मां के शरीर से अधिक रक्तश्राव रक्तस्राव होने की आशंका होती रहती है। जिसे अस्पताल में असानी से नियंत्रित किया जा सकता है। कई नवजात शिशुओं को जन्म के समय सांस लेने में दिक्कत होती है, जिसको नियंत्रित करने जिसके उपचार के लिये अस्पताल में सुविधायें उपलब्ध रहती है। संस्थागत प्रसव कराने पर जननी सुरक्षा योजना का लाभ मिलता है। प्रशिक्षण की प्रतिभागी व स्टाफ स्टॉफ नर्स विनीता दास ने बताया कि प्रशिक्षण बहुत ही गुणवत्तापरक हो रहा है। इससे हम सभी को लेबर रूम में प्रसव के दौरान आने वाली कठिनाइयों को दूर करने में मदद मिलेगी। साथ ही जच्चा बच्चा का सुरक्षित प्रसव कराया जा सकेगा। बताया कि पहले वह गंभीर केस रिफर कर देती थी लेकिन अब डाक्टर चिकित्सक की देखरेख में उचित प्रबंधन करके प्रसव कराया जा सकेगा। इस दौरान अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. आरसीएच, डा. इश्तियाक अहमद, प्रशिक्षक डा. रोशनी गुप्ता, डा. सतीश बाल रोग विशेषज्ञ, स्टाफ नर्स अलका एवं स्टाप नर्स दीपिका और यूपी टीएसयू की डीएसएस डा0 ईप्सा प्रशिक्षण दे रही हैं।
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गर्भवती को दी जाती आर्थिक मदद
फतेहपुर। सीएमओ डाॅ. अशोक कुमार ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में एक लाख दस हजार संस्थागत सरकारी प्रसव हुये हैं। संस्थागत प्रसव कराने वाली गर्भवती को जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत 1400 सौ रूपये की धनराशि ग्रामीण स्तर पर और शहरी क्षेत्र में एक हजार रूपये की राशि पोषण के लिए दी जाती है। इसी प्रकार प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना में लाभार्थी को कुल पांच हजार रूपये की धनराशि भी पोषण के लिए ही खाते में दी जाती है। सीएमओ ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पतालों में सुबह शाम नाश्ता, भोजन, दूध, और फल आदि चिकित्सक की सलाह के अनुसार दिया जाता है। जिले में 76 स्वास्थ्य केंद्रों में प्रसव की सुविधा दी जा रही है। इसमें से जिला महिला चिकित्सालय, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खागा, बिंदकी और हथगाम में सी सेक्सन की सुविधा भी उपलब्ध है। इसी के साथ 102 नंबर की 40 एंबुलेंस गर्भवती धात्री व नवजात के परिवहन के लिये लगाई गई हैं।

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