फतेहपुर। न्यूज़ वाणी नफीस जाफरी फतेहपुर करोड़ो की आबादी वाले उत्तर प्रदेश मंे आधी से अधिक जनता स्वास्थ्य संबन्धी जरूरतों के लिए प्रायः अप्रशिक्षित और नीम हकीम कहे जाने वाले झोलाछाप डाक्टरों पर निर्भर है। शायद यही कारण है कि इस विशाल प्रदेश को अब बीमारी का घर कहा जाता है। डेंगू मस्तिष्क ज्वर, खसरा, पोलियो, तथा हेपेटाइटिश आदि जानलेवा बीमारियों मंे से किसी का कहर प्रदेश में चलता रहता है। शासन प्रशासन के जिम्मेदार लोगों की उपेक्षा व उदासीनता के चलते जनपद व शहर के प्राइवेट नर्सिंग होम लूट खसोट का अड्डा बने हुए है। इसके संचालक विशेष कर गाॅव देहात की भोली भाली अनपढ़ जनता को मौत का भय दिखाकर उनसे मनमाना पैसा वसूलते है। जबकि अधिकांश नर्सिंग होम शासन के मानकों को पूरा नहीं करते है। और तो और यहाॅ दसवीं फेल लोग कम्पाउॅडर बने हुए है। और मरीजों को इंजेक्शन लगा कर उनके जीवन से खिलवाड़ कर रहे है। शासन द्वारा कस्बों में प्राथमिक व समुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र जरूर खोले हुए है लेकिन यहाॅ हमेशा दवाओं, चिकित्सीय उपकरणों व डाक्टरों का अभाव बना रहता है। दवायें हैं तो इंजेक्शन नहीं और यदि इंजेक्शन हैं तो कम्पाउॅडर नहीं। इसके अलावा यहाॅ कर्मियों द्वारा मरीजों से वसूली की शिकायतें भी बराबर मिलती रहती हैं शहर में संचालित कई निजी नर्सिंग होम तो ऐसे हैं जो मानकों को ताक में रखकर कार्य कर रहे है। इन नर्सिंग होमों में मान्यता प्राप्त प्रशिक्षित व डिग्रीधारी कम्पाउंडर व नर्स नहीं है। जिले के कई नर्सिग होम अवैध रूप से संचालित हो रहे है। यहाॅ मरीजों की छुट्टी होने के बाद उसे कोई बिल नहीं दिया जाता है। जनपद में आज भी मूलभूत चिकित्सा सुविधाओं का आभाव होने से ग्रामीण क्षेत्रों के हजारों लोग नर्सिंग होमों के संचालकों की मनमानी के चलते लुटने को मजबूर है।