जाको राखे साइयां मार सके न कोय बाल न बांका करि सके जो जग बैरी होय इन लाइनों को कानपुर के कांशीराम अस्पताल में जन्मी एक बच्ची ने सच कर दिखाया। आज जब उसका जन्म हुआ तो डाक्टरों ने उसे मृत बताया। स्वजन उसके शव को गंगा में बहाने ले गए। तभी उसकी सांसें चल उठी। ये देख स्वजन उसे फिर से अस्पताल ले आए।
कांशीराम अस्पताल में एक गर्भवती का पांच माह में ही प्रसव हो गया। डाक्टर ने जन्मी बच्ची को मृत बता कपड़े में लपेटकर स्वजन को सौंप दिया। घर पहुंच स्वजन शव को गंगा में बहाने जा रहे थे। तभी उसमें सांस चलने लगी। उसे जिंदा देख लोगों की भीड़ जुट गई।
बच्ची को वापस कांशीराम असोटाल लेकर पहुंचे तो डाक्टर ने साफ इनकार कर दिया कि उनके यहां प्रसव हुआ ही नहीं है। काफी हंगामे के बाद डाक्टर ने बच्ची को भर्ती कर इलाज शुरू किया। जाजमऊ तिवारीपुर निवासी ई रिक्शा चालक राजकुमार की पत्नी मीनू पांच माह की गर्भवती थी।
12 साल बाद उनकी दूसरी बच्ची हुई,लेकिन डाक्टर ने बताया कि पांच माह में प्रसव होने से बच्ची मृत हुई है। उन्होंने कपड़े में लपेटकर शव स्वजन को सौंप दिया। परिवार दुखी मन से घर पहुंचे और रिश्तेदारों को सूचना दी। गंगा में अंतिम संस्कार के लिए सब चलने के लिए सब तैयार थे।
जैसे ही कपड़ा खोला तो बच्ची की सांसे चल रही थी। वे लोग वापस अस्पताल पहुंचे, लेकिन कांशीराम अस्पताल के डाक्टर कहने लगे उनके यहां प्रसव ही नहीं हुआ। यह सुनकर सभी भड़क गए और हंगामा किया। इसके बाद उसे भर्ती किया गया।