नौनिहालों की थाली, महंगाई से खाली – आसमान छूने लगी एमडीएम सामग्री, नहीं बढ़ी कन्वर्जन कास्ट

खागा/फतेहपुर। मिड-डे-मिल (एमडीएम) केंद्र सकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना है, लेकिन बच्चों की थाली में महंगाई ने ग्रहण लगा दिया है। जिस रफ्तार से महंगाई ने पैर पसारा है। एमडीएम की कन्वर्जन कास्ट उस दर से नहीं बढ़ी। ऐसे में महंगाई ने थाली की गर्माहट कम कर दी है। शिक्षकों को जनवरी से अब तक एमडीएम का भुगतान भी नहीं मिला है। ऐसे में वह खुद की व्यवस्था से महंगाई से लड़ते हुए किसी तरह एमडीएम जैसी महत्वाकांक्षी योजना का संचालन कर रहे हैं।
इन दिनों स्कूल चलो अभियान चल रहा है। सब पढ़े आगे बढ़े इस सोच के साथ स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना शुरू की गई थी। 15 अगस्त 1995 से प्रदेश में योजना का संचालन हो रहा है। समय-समय पर इस योजना की कन्वर्जन कास्ट में वृद्धि होती रही। मार्च 2023 से एक से पांचवीं तक के बच्चों को प्रति विद्यार्थी 5.45 रुपये और छह से आठवीं के छात्रों को 8.17 रुपये कन्वर्जन कास्ट के रूप में दिया जा रहा है। इसके साथ ही चार रुपये प्रति बच्चे की दर से फल खरीदने के लिए भुगतान हो रहा है। मौसमी फल का वितरण का निर्देश 2012 से है। हालांकि, इस धनराशि में वृद्धि नहीं हो सकी। वर्तमान स्थिति यह है कि चार रुपये का कोई भी पोषणयुक्त फल बाजार में नहीं मिल रहा है। पूरी योजना महंगाई की भेंट चढ़ चुकी है। बच्चों की थाली की दाल पतली हो गई है। मसाले में हल्दी का रंग अधिक दिखने लगा है। जहां सब्जी में आलू और टमाटर दिखते थे। वहीं टमाटर 120 रुपये किलो होने से नजर आना बंद हो गया है। तहरी में चावल की मात्रा और हल्दी बढ़ी है। सोयाबीन मिलना बच्चों की किस्मत आजमाने जैसा हो गया है। शिक्षक कार्रवाई के भय से किसी तरह एमडीएम का संचालन कर रहे हैं लेकिन इधर पांच से महीनों में जिस तरह से मंगाई बढ़ी है। एमडीएम की कन्वर्जन कास्ट न बढ़ना शिक्षकों के लिए मुसीबत बना है।
इनसेट-

एमडीएम के लिए जो मैम्यू निर्धारित है। वह इतनी कम कन्वर्जन कास्ट में दे पाना संभव नहीं है। फल देना तो बिल्कुल ही असंभव है। शिक्षक इसके लिए परेशान रहता है। मौसमी फल का वितरण होना है। वह भी काटा नहीं जाना है। ऐसे में शिक्षक को अपने वेतन से रुपये लगाना पड़ता है। अपने बच्चे हैं और एक जिम्मेदारी है। ऐसे में कैसे भी हो योजना का संचालन करना मजबूरी है- अंबिका मिश्र एमपीआरसी।
इनसेट-


एमडीएम योजना बेहतर है। इस ओर सरकार को ध्यान देना चाहिए। समय-समय पर कन्वर्जन कास्ट को लेकर चर्चा होती रहे। बढ़ती महंगाई के साथ कास्ट में वृद्धि जरूरी है। ऐसा न होने पर शिक्षकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। संगठन कई बार इसके लिए अधिकारियों से मिल चुका है। इसको लेकर प्रदेश नेतृत्व से चर्चा होगी। इसके बाद कदम उठाया जाएगा- विजय त्रिपाठी, उपाध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ।

Leave A Reply

Your email address will not be published.