सरस श्रीराम कथा – चतुर्थ दिवस, भगवान भक्त के मिलन पर प्रकृति स्वयं बना देती है बसन्त का मौसम- राजन जी महाराज
रोहित सेठ
वाराणसी। सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के खेल मैदान में श्री रामकथा प्रेमी सेवा समिति के तत्वावधान में चल रही सरस श्रीराम कथा के चौथे दिन मानस मर्मज्ञ पूज्य राजन जी महाराज ने धनुष यज्ञ लीला का अत्यंत मनोहारी वर्णन कर कथा प्रेमियों के अंतर्मन को झंकृत कर दिया।
उन्होंने कहा कि जब प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण गुरु विश्वामित्र के साथ राजा जनक के मन की व्यथा को दूर करने मिथिला पहुँचते है। आँखों का सबसे बड़ा खजाना समझ प्रभु की मनोहारी छवि को निहारने सम्पूर्ण मिथिलावासी सड़क पर उतर आते है। पूरे मिथिलावासी प्रभु के रूप सौंदर्य पर मोहित होकर बलिहारी हो जाते है। पूरे मिथिला में अपने आप बसन्त का मौसम हो जाता है। राजन जी महाराज ने कहा कि जहाँ भी भगवान और भक्त का मिलन होता है, प्रकृति स्वयं बसन्त का मौसम बना देती है। प्रभु श्रीराम ने राजा जनक की चिंता दूर करते हुए पलक झपकते ही शिव के धनुष को भंग कर दिया।
विश्वविख्यात कथा वाचक प्रेममूर्ति पूज्य संत प्रेमभूषण जी महाराज के कृपापात्र शिष्य राजन जी महाराज ने कहा कि जो दिखने मे सुहावन होता है जरूरी नही की वह पावन भी हो, साधन जुटाकर हम किसी भी घर को सुहावना जरूर बना सकते है लेकिन घर को पावन बनाना है तो भजन साधना की आवश्यकता होगी। भजन करते रहना चाहिए, इसके लिए किसी का त्याग करने की भी आवश्यकता नही है, बल्कि सिर्फ भगवन नाम को पकड़ना है। भगवान को याद करेंगे तो उनकी दया निश्चित है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को अपने बारे में स्वयं आकलन करना चाहिए कि हम क्या है, झूठी प्रशंसा से हम स्वयं अपना ही नुकसान करते है। प्रत्येक माता पिता का यह कर्तव्य है कि वें बच्चो को बाल्यकाल से धर्म से जुड़े रहने की शिक्षा दे।
विशिष्टजनों ने उतारी व्यासपीठ की आरती – मुख्य यजमान सुमित सराफ, रुचि सराफ, विनोद सराफ, इंदु सराफ, अजय लिल्हा, गोपाल कृष्ण केडिया, प्रेम रस्तोगी, मनोज मद्धेशिया आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। आरती में मुख्य रूप से काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य अर्चक श्रीकांत मिश्रा, महानगर भाजपा अध्यक्ष विद्यासागर राय, पदमश्री चंद्रशेखर सिंह, अनूप सराफ, सुरेश तुलस्यान, योगेश वर्मा, दिलीप सिंह, अजय यादुका, राकेश अग्रवाल आदि शामिल रहे। संचालन पवन अग्रवाल ने किया।