मुन्ना बक्श के साथ संवाददाता ओमप्रकाश गौतम की विशेष रिपोर्ट
अतर्रा/बांदा | दिहाड़ी मजदूरी करके अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले राजेन्द्र निवसी तेरा ब,ने रुधे हुए गले से रोते हुए बताया कि मेरे परिवार में पांच लोग है, मेरा पात्र गृहस्थी का राशनकार्ड कोटेदार हरवंश के दुकान पर बना हुआ है, जिसमें मात्र तीन यूनिट जुडी है शेष दो यूनिट जुडवाने के लिए मै लगभग एक साल से विभाग के चक्कर काट रहा हूँ | एक साल पहले मैंने यूनिट जुडवाने का आनलाईन कराकर उसमें सभी आवश्यक कागज लगाकर क्षेत्रिय कार्यालय अतर्रा में जमा किया लेकिन यूनिट नहीं जुडी फिर मैने तहसील दिवस में इस बावत प्रार्थना पत्र दिया लेकिन फिर भी यूनिट नहीं जुडी अब तो मुझे लगता है कि शायद मेरी यूनिट न जुडने से सरकार का कुछ फायदा हो रहा है तभी तो कर्मचारियों द्वारा मेरी यूनिट नहीं जोड़ी जा रही है | रोते हुए राजेन्द्र ने कहा साहब हम तो गरीब लोग है शायद यही हमारी किस्मत है कर्मचारी भी जानते हैं कि यह अनपढ़ हमारा भला क्या कर लेगा इसीलिए शायद गरीबों कोई नहीं सुनता है |
राजेंद्र ने पूर्तिरीक्षक कार्यालय में अपना प्रार्थना पत्र दिया और दिल की भड़ास निकालते हुए इस आस में वापस घर चला गया कि शायद अगली बार मेरी राशन कार्ड में यूनिट जुड जाए एक तरफ उत्तर प्रदेश की सरकार द्वारा गरीब मजलूम लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए अनेक प्रकार की जनकल्याणकारी योजनाएं बनाई जा रही हैं लेकिन आए दिन इस तरह के अनपढ़ गरीब लोगों की समस्याएं समाचारों में छपती है, लेकिन कार्रवाई सरकार द्वारा कर्मचारियों के विरुद्ध नहीं की जाती है जिसके चलते गरीब आज भी गरीबी में जी रहा है |