रोहित सेठ
वाराणसी: सावन के पवित्र माह में मशहूर आध्यात्मिक गुरू, मोरारी बापू ने बारह ज्योतिर्लिंग जाकर राम कथा सुनाने का अपना एक अनूठा सफर शुरू किया है। 22 जुलाई को शुरू हुआ यह आध्यात्मिक सफर केदारनाथ, उत्तराखंड के पावन स्थल से रवाना हुई। इसके बाद यह तीर्थयात्रा अपने अगले चरण में उत्तराखंड के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री, श्री सतपाल महाराज जी की उपस्थिति में 23 जुलाई को ऋषिकेश से आगे बढ़ेगी।
इसके बाद यह ट्रेन 24 जुलाई, 2023 को देवनगरी काशी और वाराणसी में पहुँचेगी, जहाँ मोरारी बापू काशी विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र में कथा सुनाएंगे। इस कार्यक्रम में सभी जनमानस भाग ले सकेंगे। कथा का समय सुबह 10:30 बजे से लेकर दोपहर 1:30 बजे तक है, जिसके बाद भंडारा होगा।
अपनी तरह का यह अनोखा कार्यक्रम भगवान राम की शिक्षाओं का प्रसार करने के लिए मोरारी बापू की प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करता है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग राम चरित मानस में दिए ज्ञान को समझ सकें। यह आध्यात्मिक सफर दो विशेष ट्रेनों, कैलाश भारत गौरव और चित्रकूट भारत गौरव द्वारा किया जा रहा है, जो श्रद्धालुओं को मार्ग में पड़ने वाले सभी ज्योतिर्लिंगों तक ले जाएंगी।
इस कथा का आयोजन बापू के भक्त इंदौर के रूपेश व्यास द्वारा आदर्श ट्रस्ट के माध्यम से किया जा रहा है। वो ज्योतिर्लिंग राम कथा यात्रा को सफल बनाने के लिए आईआरसीटीसी के साथ तत्परता से काम कर रहे हैं।
वाराणसी में काशी विश्वनाथ में स्थित ज्योतिर्लिंग देश के सबसे पावन स्थलों में से एक है। यह पवित्र गंगा नदी के तट पर स्थित सबसे प्राचीन शहर है। इस देवनगरी में हजारों तीर्थयात्री मुक्ति की प्रार्थना के साथ आया करते हैं।
यह आध्यात्मिक सफर श्रृद्धालुओं को 12 ज्योतिर्लिंग ले जाते हुए भगवान राम की शिक्षाओं का स्मरण कराएगा और इन पवित्र स्थलों और राम कथा के महत्व का प्रतिपादन करेगा। इस सफल की विशालता भगवान राम की शिक्षाओं का प्रसार करने की मोरारी बापू की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। इस सफर में रिकाॅर्ड 18 दिनों की अवधि में 12,000 किलोमीटर से ज्यादा लंबी दूरी तय की जाएगी।
यह सफर हिंदू कैलेंडर के सबसे पवित्र माह, सावन में पूरा हो रहा है। इस साल यह और ज्यादा खास है क्योंकि यह आधिक सावन का माह है, जिसका देश के श्रृद्धालुओं के बीच विशेष महत्व है।
जब पूरा देश आजादी का अमृत काल मना रहा है, तो इस विद्वानों और संतों की भूमि के गौरवशाली इतिहास का स्मरण करना भी आवश्यक है। मोरारी बापू के गहन शास्त्र ज्ञान के साथ यह अद्वितीय अभियान आधुनिक समय में अपनी प्राचीन परंपराओं को जीवित रखने की ओर मोरारी बापू की प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करता है।
ज्योतिर्लिंग का यह सफर मोरारी बापू की विरासत को आगे बढ़ाएगा, जो अनेक आध्यात्मिक यात्राएं कर चुके हैं। इससे पूर्व को व्रज परिक्रमा कथा और अयोध्या से नंदीग्राम परिक्रमा कथा कर चुके हैं।