यूपी में छात्रवृत्ति घोटाले में हाइजिया ग्रुप के संचालकों ने सारी हदें पार कर दी थी। उन्होंने दिव्यांग कोटे के डमी कैंडिडेट के नाम पर 65 करोड़ रुपए का खेल खेला था। (एसआईटी) की जांच में इसके साक्ष्य मिले हैं। इसके बाद ईडी ने जिन तीनों आरोपियों को जेल भेजा था। (एसआईटी) ने अब उनकी भी गिरफ्तारी की है। साथ ही पूरे मामले की सितंबर तक चार्जशीट दाखिल करने की बात कह रही है।
ईडी ने यूपी में छात्रवृत्ति घोटाले में एक साथ लखनऊ, फर्रुखाबाद, बाराबंकी, हरदोई आदि स्थानों पर छापेमारी कर छात्रवृत्ति घोटाले का खुलासा किया था। इसके बाद मास्टरमाइंड हाइजिया ग्रुप के संचालक इजहार हुसैन जाफरी, अली अब्बास जाफरी और रवि प्रकाश गुप्ता के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था। उसके साथ ही तीनों को गिरफ्तार करते हुए जेल भेजा था। वहीं शासन के आदेश पर हजरतगंज पुलिस ने 30 मार्च 2023 को एफआईआर दर्ज की थी। इसमें 100 करोड़ रुपए के घोटाले की आशंका जताई थी। जिसके बाद इस केस की विवेचना के लिए (एसआईटी) गठित की थी। सूत्रों के मुताबिक (एसआईटी) की जांच में अब तक 65 करोड़ रुपए के घोटाले की पुष्टि होने के बाद चार्जशीट की तैयारी शुरू कर दी है। इसमें दिव्यांग छात्रों के नाम पर करीब 35 करोड़ व अन्य छात्रों के नाम पर 30 करोड़ रुपए की छात्रवृत्ति ली गई। दस संस्थानों के कुल 18 आरोपी केस में हैं। 14 आरोपियों के खिलाफ जांच जारी है। जिनकी साक्ष्य के आधार पर कभी भी गिरफ्तारी हो सकती हैं।
(एसआईटी) ने हाजिया ग्रुप के इलहार, अली अब्बास और रवि प्रकाश से पूछताछ के बाद कोर्ट से अनुमति लेकर उनको अपने केस में भी गिरफ्तारी दिखाई है। वहीं चौथे आरोपी लकी जाफरी को अंतरिम जमानत के चलते गिरफ्तार नहीं कर सकी। उसने मेडिकल ग्राउंड पर अंतरिम जमानत ले रखी है।
छात्रवृत्ति घोटाले के लिए खोले गए खातों में अहम रोल फिनो बैंक के कर्मचारी और अधिकारी का रहा है। इन्हें ईडी और पुलिस ने आरोपी बनाया है। सूत्रों के मुताबिक बैंक कर्मियों के सीधे घोटाले में मिले होने के चलते उन्हें सरकारी गवाह बनाने की तैयारी चल रही है।