वाराणसी। एसटीएफ और नॉरकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की संयुक्त टीम ने शुक्रवार को वाराणसी के इंद्रपुरी इनक्लेव, कादीपुर स्थित एक मकान में छापा मार कर 1300 ग्राम सिंथेटिक ड्रग्स बरामद किया। बरामद सिंथेटिक ड्रग्स की कीमत 50 लाख रुपये बताई गई है। गिरोह के सरगना जौनपुर के बरसठी थाना के पॉली के मूल निवासी और इंद्रपुरी इनक्लेव में रहने वाले संदीप तिवारी व महमदपुर पट्टी हुलास गांव के प्रमोद यादव, भदोही जिले के सुरियांवा थाने के चैगड़ा के आनंद तिवारी व अबरना गांव के सुशील उपाध्याय और मुंबई के अकरम चुन्नू खड्डे को गिरफ्तार किया गया।
पांचों को आगे की कार्रवाई के लिए लखनऊ की नॉरकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को सौंप दिया गया। शनिवार को पांचों को अदालत में पेश कर न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजा जाएगा। एसटीएफ की वाराणसी इकाई के एडिशनल एसपी विनोद कुमार सिंह ने बताया कि सूचना मिली थी कि शिवपुर क्षेत्र स्थित एक मकान में नशीला सिंथेटिक ड्रग्स तैयार कर उसकी सप्लाई अंतरराज्यीय स्तर पर की जाती है।
एसटीएफ की फील्ड इकाई के इंस्पेक्टर अनिल कुमार सिंह के नेतृत्व में नॉरकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की टीम ने छापा मारा। कार्रवाई के दौरान संदीप और उसके गुर्गे गिरफ्तार किए गए। मौके से एक कार, एक स्कूटी, 10 मोबाइल, 40 हजार रुपये, .32 बोर की देसी पिस्टल, चार कारतूस, आठ किलो नौशादर, नौ डिब्बा मेथाइल अमोनियम क्लोराइड, 80 लीटर एसिड, कांच के छह जार, एक वैक्यूम मशीन, दो इलेक्ट्रॉनिक मशीन और कुछ अन्य अज्ञात केमिकल बरामद किया गया है।
रसायन शास्त्र से स्नातक और फॉर्मा इंडस्ट्री में काम किए हुए संदीप तिवारी ने पूछताछ में बताया कि बरामद सिंथेटिक ड्रग्स मेफेड्रोन को आम बोलचाल की भाषा में एम-कैट, व्हाइट मैजिक, म्याऊं-म्याऊं और बब्बल के नाम से जाना जाता है। यह प्रतिबंधित ड्रग्स कैथीनॉन ग्रुप से संबंधित मादक पदार्थ है। इसका सेवन गहरे नशे के लिए पार्टियों में किया जाता है।
संदीप ने बताया कि फॉर्मा इंडस्ट्री का काम छोड़ कर वह महाराष्ट्र के ड्रग्स तस्करों से जुड़ कर मादक पदार्थों की तस्करी में संलिप्त हो गया था। दिसंबर 2018 में मुंबई की एंटी नॉरकोटिक्स सेल ने 100 किलो फेंटाड्रिल नामक नशीले ड्रग्स के साथ उसे गिरफ्तार किया था। जमानत पर छूटने के बाद वह अपने साथियों के साथ ड्रग्स तस्करी का काम करने लगा।
उसे फिर मार्च 2023 में मादक पदार्थ तस्करी में गिरफ्तार किया गया था, वहां से लगभग तीन माह बाद जमानत पर छूट गया था। वह महाराष्ट्र का कुख्यात ड्रग्स तस्कर बना चुका था। उसके विरुद्ध महाराष्ट्र में ड्रग्स तस्करी के चार मुकदमे पंजीकृत हैं। महाराष्ट्र पुलिस के निशाने पर आ जाने के बाद वह लुक-छिप कर जौनपुर के आसपास रहने लगा