कानपुर देहात में खेती व अन्य कार्यों के लिए बैंक व एक ग्रामीण से लिए कर्ज को नहीं चुका पाने से परेशान किसान ने प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के नाम खत लिखकर बीती रात खुदकुशी कर ली। किसान का शव घर के पास ही लगे पेड़ पर अंगौछ के फंदे से लटका मिला।
पास मिले सुसाइड नोट में किसान ने लिखा है कि एक कर्ज का दर्द दूसरा सांड के हमले के दर्द से परेशान होकर वह जान दे रहा है। सूचना पर पहुंची पुलिस ने सुसाइड नोट को कब्जे में लेकर जांच शुरू की है।
मंगलपुर निवासी चंद्रपाल सिंह के पास सात बीघा खेतिहर जमीन है। उन्होंने दो महीने पहले पूर्वी बड़ौदा ग्रामीण बैंक की मंगलपुर शाखा से किसान क्रेडिट कार्ड पर 3.60 लाख रुपये खेतीबाड़ी के लिए कर्ज लिया था।
इसके एक महीने बाद ही खेत में काम करते समय चंद्रपाल पर सांड ने हमला कर दिया। इससे वह घायल हो गए। परिजनों के अनुसार इधर-उधर से पैसों का जुगाड़ करके चंद्रपाल ने अपना इलाज कराया। वहीं, इससे पहले पैसे की कमी के चलते चंद्रपाल ने एक बीघा खेत गांव के ही एक व्यक्ति के पास गिरवी रखकर 60 हजार रुपये कर्ज लिया था
कर्ज नहीं चुका पाने से चंद्रपाल मानसिक तनाव में चल रहे थे। चंद्रपाल ने प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को संबोधित पत्र लिखा। इसके बाद घर से निकले और पास ही लगे गुलमोहर के पेड़ पर अंगौछे से फंदा लगाकर जान दे दी।
देर रात आसपास के लोगों ने उन्हें फंदे से लटका देख परिजनों को खबर दी। मौके पर पहुंचे बेटे विनोद और पुलिस ने ग्रामीणों की मदद से किसान के शव को फंदे से उतरवाया। विनोद सिंह ने बताया कि पिता ने बैंक से 3.60 लाख रुपये कर्ज लिया था।
एक बीघा खेत पहले से गिरवी रखा हुआ है। सांड के हमले में घायल होने और कई वर्षों से फसल भी अच्छी न होने से कर्ज नहीं चुका पा रहे थे। इससे परेशान पिता ने जान दे दी। थाना प्रभारी एसएन सिंह ने बताया कि प्रारंभिक जांच में कर्ज न चुका पाने से परेशान होकर किसान के खुदकुशी करने की बात सामने आई है। सुसाइड नोट मिला है। मामले की जांच की जा रही है।
सुसाइड नोट में किसान ने लिखा है आदरणीय माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आदरणीय माननीय योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश आप को विदित हो कि मैं किसान चंद्रपाल सिंह मंगलपुर। मेरे पास मात्र सात बीघा जमीन है। मेरे एक लड़का व दो लड़की हैं। दूसरे लड़के की मृत्यु हो गई है। दो नाती हैं। एक की शादी हो गई है। इनका पालन पोषण शादी आदि से मेरे ऊपर बैंक का 3.60 लाख का कर्जा है। एक बीघा खेत 60 हजार में गिरवी रखा है। आप खुद बैंक से पता कर लो।
मुझे अन्ना सांड ने इतना पटक कर मारा है कि चल तक नहीं पाता। एक अन्य सांड मुझे मेरे दरवाजे पर ही मार डालता, अगर पड़ोसी सांड को नहीं भगाते। मैं तो बेहोश हो गया था। जिला पंचायत सदस्य संतोष ने बचा लिया। अब एक कर्ज का दर्द दूसरा सांड के मारे के दर्द से रात में मैं पीड़ा से चिल्लाता हूं, तो मैंने यहीं सोचा कि इस जीवन से मौत अच्छी है।
इसी को गले लगा लिया। सभी गांव वाले और पड़ोस वाले मुझे मानते रहे। नमस्कार विशेष कर भंनसई वाले बच्चों। इनकी मैंने बहुत रोटी खाई। हमारी गलती जो हुई हमारे को माफ कर देना। चंद्रपाल सिंह मैं ज्यादा दुखी हूं हरी के यहां अब मैं जा रहा।