लखनऊ: गदर मूवी का सीक्वल इस वक्त धमाल मचा रहा है। पांच दिन में इस फिल्म ने करीब 170.88 करोड़ रुपए का कलेक्शन किया है। हाथ में हथौड़ा लिए सनी किस तरह से पाकिस्तानी सेना पर भारी पड़ते हैं, ये स्क्रीन पर आते ही लोग सिनेमाघरों में जोश से भर जा रहे हैं। स्थिति यह है कि लखनऊ के 15 मल्टी स्क्रीन और 6 सिंगल स्क्रीन सिनेमा घर में हर दिन 55 हजार से ज्यादा लोग मूवी देखने पहुंच रहे हैं।
इस चाव के पीछे एक वजह यह भी है कि 2001 में गदर मूवी की 80% शूटिंग लखनऊ में हुई थी। जिसके आइकॉनिक सीन लोग भूले नहीं हैं। गदर का सबसे आइकॉनिक सीन, जहां सनी और अमरीश पुरी के सामने गुस्से में हैंडपंप उखाड़ लेते हैं, ये शूट लखनऊ के फ्रांसिस कॉन्वेंट स्कूल में हुई थी।
करीब 45 दिन तक लखनऊ के लॉ मार्टिनियर कॉलेज, हुसैनाबाद इंटर कॉलेज, घंटाघर, पक्कापुल, रूमी दरवाजा, कैसरबाग, काकोरी, मलिहाबाद और बाराबंकी जेल में फिल्म शूट हुई थी। कल सकते है कि जिस तरह से गदर 2001 में ब्लॉकबस्टर साबित हुई थी। वैसा ही लखनऊ फिर एक बार गदर 2 के लिए लकी साबित हो रहा है।
ये कॉलेज वो जगह है, जहां फिल्म का क्लाइमेक्स फिल्माया गया था। इस कॉलेज को मूवी में पाकिस्तानी सेना के हेडक्वार्टर के रूप में दिखाया गया। सेट पर लाहौर जैसा फील देने की कोशिश हुई थी। ये कॉलेज 129 साल पुराना है।
लखनऊ की पहचान पक्का पुल भी आपको फिल्म में दिखा था। करीब 109 साल पुराने इस पुल को फिल्म में काफी खूबसूरती के साथ पाकिस्तान में लाहौर शहर का दिखाया गया है। जहां सनी देओल रिक्शा लेकर भागते हुए दिखते हैं।
लखनऊ के घंटाघर के पास की लोकेशन फिल्म में नजर आई थी। यह 1881 में नवाब नसीर-उद-दीन हैदर ने अंग्रेज अफसर सर जॉर्ज कूपर के लखनऊ में आने पर बनवाया था। यह घंटाघर पर्यटन के हिसाब से भी लखनऊ की पहचान है।
फिल्म में हुसैनाबाद इंटर कॉलेज के अंदर का लोकेशन दिखाया गया है। हालांकि यह लोकेशन वह ही लोग समझ पाए, जो यहां कभी पढ़े थे। यहां शिक्षकों ने बताया कि कॉलेज के अंदर करीब दो दिन तक फिल्म की शूटिंग हुई थी। इसमें कॉलेज का पिछला हिस्सा लिया गया है।
आदिशेष बताते हैं कि सनी अंकल की बात अलग थी। वो आज के हीरो की तरह बॉडी बिल्डर नहीं, लेकिन उनका देसी बॉडी और स्टाइल देखने के लिए सेट के आस-पास भी भीड़ जुटती थी। मूवी तैयार करते हुए सेट पर बहुत इंज्वायमेंट होता था। आदिशेष ने तकरीबन सभी कलाकारों के साथ सेल्फी भी ली है।
फिल्म के ऐक्शन सीन देखकर रिषम डर गए थे। उन्होंने बताया कि बेटे की सुरक्षा को लेकर उनके अंदर डर बैठ गया था। उसके बाद उन्होंने उसको फिल्म में काम कराने से मना कर दिया। हालांकि बाद में फिल्म के निदेशक अनिल शर्मा ने समझाया कि यह बच्चा उनके बेटे की तरह है। उनका खुद का बेटा भी काम करता आया है।
लखनऊ में ही हर रोज करीब 55 से 60 हजार लोग इस फिल्म को देख रहे है। इससे करीब 85 लाख रुपए प्रतिदिन का कारोबार केवल टिकट बिक्री से हो रहा है। देखा जाए तो पहले 3 दिन में ही फिल्म ने लखनऊ से ढाई करोड़ का कारोबार कर लिया था। फूड शॉपिंग का कलेक्शन देखा जाए तो 4 करोड़ रेवेन्यू आ चुका था।
लखनऊ में एक दौर में करीब 29 सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल हुआ करते थे। मल्टी स्क्रीन के बाद अब सिर्फ 6 सिंगल स्किन बचे हैं। लेकिन इस फिल्म ने सिंगल स्क्रीन को नया जीवनदान दिया है। शनिवार की शाम हजरतगंज स्थित एक सिनेमा हॉल को बंद करना पड़ा। स्थिति यह थी कि जितने लोग हॉल के अंदर थे उतने ही हॉल के बाहर भी मौजूद रहे। ऐसे में हॉल के गेट को बंद कर दिया गया। आखिर में मौके पर पुलिस भी बुलानी पड़ी।