लखनऊ: वो आए, स्कूटी से उतरे और नदी में उसे फेंक कर चले गए। पास में खेल रहे बच्चों ने समझा कि कोई खिलौना या सामान है, जिसे वे नदी में डाल गए। वे दौड़े और गोमती में छलांग लगा दी। नदी में से जो कुछ निकला, वह इन बच्चों को झकझोर गया। वह कोई खिलौना नहीं, एक बच्चा था। जिंदा बच्चा, जिसे उसके अपनों ने जन्म लेते ही मरने के लिए फेंक दिया। बहरहाल बच्चा मातृ शिशु रेफरल अस्पताल में भर्ती है।
बड़ों की संवेदनहीनता पर बच्चों की संवेदनशीलता की जीत की यह कहानी कुड़ियाघाट की है। बुधवार सुबह के करीब 11.30 बजे तेज धूप के बावजूद झोपड़बस्ती के बच्चे यहां खेल रहे थे।
नवजात को बचाने वाले बच्चों की उम्र यही कोई 10 से 12 साल है। इनके नाम हैं-तौसीफ, हसीब, अहसान और गुफरान। तेजतर्रार तौसीफ बताता है- हम खेल रहे थे तभी स्कूटी पर सवार तीन लोग आए। एक ने काला मास्क लगा रखा था। उन्होंने नदी में कुछ फेंका और तेजी से भाग निकले।
तौसीफ ने बच्चेे को घर ले जाकर पिता वारिस को दिया। वारिस ने उसे अपनी निसंतान बहन को दे दिया। उसने बच्चे की देखभाल शुरू की। वहीं पास के पार्क में कैंटीन चलाने वाले ने पुलिस को सूचना दे दी। चाइल्डलाइन को बुलाकर बच्चा उनको सौंपा गया। चाइल्डलाइन की निदेशक डॉ. संगीता शर्मा ने बताया कि बच्चा समय पूर्व जन्मा लग रहा है। उसे मातृ शिशु रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं, ठाकुरगंज पुलिस इंस्पेक्टर विजय कुमार ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज के जरिये बच्चे को फेंकने वालों का पता लगाया जा रहा है।