विदेश: कोलंबिया की राजधानी बोगोटा में गुरुवार को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। US जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक, रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.3 रही। इसकी 15 मिनट के अंदर ही 5.7 तीव्रता का आफ्टरशॉक भी आया। इसके थोड़ी देर बाद 4.8 तीव्रता का तीसरा झटका भी महसूस किया गया। भूकंप की वजह से एक महिला हड़बड़ाकर गिर गई, जिससे उसकी मौत हो गई।
इसके अलावा AP के मुताबिक, भूकंप की वजह से कोलंबिया की संसद की छत का स्टोनवर्क वाला हिस्सा टूटकर गिर गया। हालांकि, राहत की बात रही कि उस वक्त संसद में कोई भी मौजूद नहीं था। भूकंप के झटके कोलंबिया के काली और मेडलिन शहर में भी महसूस किए गए।
इसके अलावा सोशल मीडिया पर लोगों ने कई जगहों पर दीवारों में दरार पड़ने की भी बात कही है। रॉयटर्स के मुताबिक, झटकों की वजहों से कई खिड़कियों के शीशे टूट गए। हालांकि, फिलहाल भूकंप की वजह से कोई बड़े नुकसान की आशंका नहीं है। भूकंप का केंद्र बोगोटा से करीब 160 किमी की दूरी पर था।
जैसे ही शहर में झटके महसूस किए गए, तुरंत अलार्म बजने लगा और सभी बिल्डिंग-ऑफिस से लोगों को बाहर निकाला गया। बोगोटा के रहने वाले गोन्जालो मार्टिन ने बताया कि भूकंप के वक्त सब कुछ हिल रहा था और लोग अपने घरों से चिल्लाते हुए बाहर निकल रहे थे।
रॉयटर्स से बात करते हुए बोगोटा के निवासी एड्रियन अलार्कन ने कहा- झटके काफी तेज थे और देर तक महसूस हुए। आसपास के ज्यादातर लोग घरों से बाहर निकलकर अपने परिजनों का हालचाल लेते नजर आ रहे थे। कोलंबिया की सिविल डिफेंस एजेंसी ने बताया कि बोगोटा के कालवारियो क्षेत्र से सभी नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है।
कोलंबिया पैसिफिक रिंग ऑफ फायर में आता है। ये ऐसा इलाका है जहां कॉन्टिनेंटल के साथ ही ओशियनिक टेक्टोनिक प्लेट्स भी हैं। ये प्लेट्स आपस में टकराती हैं तो भूकंप आते हैं, सुनामी उठती है और ज्वालामुखी फटते हैं।
इस रिंग ऑफ फायर का असर न्यूजीलैंड से लेकर जापान, अलास्का और उत्तर व साउथ अमेरिका तक देखा जा सकता है। दुनिया के 90% भूकंप और 78% सुनामी इसी रिंग ऑफ फायर क्षेत्र में आती हैं। यह क्षेत्र 40 हजार किलोमीटर में फैला है।
दुनिया में जितने सक्रिय ज्वालामुखी हैं, उनमें से 75% इसी क्षेत्र में हैं। रिंग ऑफ फायर का असर 15 देशों- जापान, रूस, फिलिपींस, इंडोनेशिया, न्यूजीलैंड, अंटार्कटिका, कनाडा, अमेरिका, मैक्सिको, ग्वाटेमाला, कोस्टा रिका, पेरू, इक्वाडोर, चिली और बोलिविया में है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, भूकंप की असली वजह टेक्टोनिकल प्लेटों में तेज हलचल होती है। इसके अलावा उल्का प्रभाव और ज्वालामुखी विस्फोट, माइन टेस्टिंग और न्यूक्लियर टेस्टिंग की वजह से भी भूकंप आते हैं। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता मापी जाती है। इस स्केल पर 2.0 या 3.0 की तीव्रता का भूकंप हल्का होता है, जबकि 6 की तीव्रता का मतलब शक्तिशाली भूकंप होता है।
भूकंप की तीव्रता का अंदाजा उसके केंद्र (एपिसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है। सैकड़ों किलोमीटर तक फैली इस लहर से कंपन होता है। धरती में दरारें तक पड़ जाती हैं। भूकंप का केंद्र कम गहराई पर हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है, जिससे बड़ी तबाही होती है।