कानपुर। समाजवादी पार्टी से पिछले दिनों निकाले गए युवा नेता अपनी ही पूर्व पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के खिलाफ लामबंद हो गए हैं। इन नेताओं ने तय किया है कि 11 सितंबर को प्रदेश की राजधानी से बगावत का बिगुल फूंकेंगे। इसके लिए लखनऊ में दो दिवसीय सभा बुलाई गई है।
इस सभा में एक मोर्चे का गठन करने की भी योजना है। मोर्चे में ऐसे नेता शामिल हैं, जो समाजवादी पार्टी या तो छोड़ चुके हैं या किसी न किसी वजह से सपा से निकाले जा चुके हैं, लेकिन वे अभी तक किसी दूसरे राजनीतिक संगठन से जुड़े नहीं हैं।
इस बैठक में प्रदेश के सभी जिलों के अलावा दूसरे प्रांतों से भी नेताओं को आमंत्रित किया जाएगा। यह भी कहा जा रहा है कि जितने भी निकाले गए युवा नेता अखिलेश विरोधी मोर्चे के जरिये अपनी आवाज उठाने की तैयारी में हैं, वे सभी सपा संस्थापक मुलायम सिंह को अपना आदर्श मानते हैं।
इस संबंध में सपा के पूर्व लोहिया वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदीप तिवारी का कहना है कि अखिलेश विरोधी मोर्चे के लिए आयोजित सभा को सफल बनाने के लिए 22 अगस्त से प्रदेशभर में सभी महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों में जाकर छात्रों से मिलेंगे। साथ ही गांव-गांव जाकर पंचायत सदस्यों, ब्लाक प्रमुखों व सदस्यों के अलावा प्रधानों से भी संपर्क करेंगे।
लखनऊ में करीब पांच हजार युवाओं को एकत्र किया जाएगा। इस अभियान के जरिये जिन लोगों को जोड़ने की तैयारी है, उसमें सपा के पूर्व युवा नेताओं में रिचा सिंह, रोली तिवारी मिश्रा, पीडी तिवारी का नाम प्रमुख है। ये सभी नेता आगे चलकर किस राजनीतिक दल से जुड़ेंगे, यह तो नहीं पता लेकिन ज्यादातर के मोबाइल में गायत्री मंत्र व भजनों की कॉलर ट्यून जरूर बजने लगी हैं।
जिन युवाओं ने सपा को प्रदेश में मजबूत पार्टी के रूप में खड़ा किया है, उन्हें ही साजिश के तहत बदनाम किया जा रहा है। इसके खिलाफ मुहिम के लिए हम सभी ने योजना बनाई है। अगले सप्ताह से पूरे प्रदेश के काॅलेजों के युवाओं को जोड़ा जाएगा। इन सभी के साथ मिलकर लखनऊ में नई योजना पर काम किया जाएगा
समाजवादी पार्टी में सवर्णों के लिए जगह नहीं है। जब पार्टी का अध्यक्ष ही पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) की बात करता है तो वहां पर सवर्णों के लिए कुछ नहीं बचा है।