रूस का लूना-25 अगली कक्षा में जाने से चूका, तकनीकी खराबी आने से इमरजेंसी की स्थिति बनी; 21 अगस्त को होगी चाँद पर लैंडिंग
विदेश: रूस के लूना-25 स्पेसक्राफ्ट में शनिवार को तकनीकी खराबी आ गई। प्री-लैंडिंग ऑर्बिट बदलने के दौरान इमरजेंसी की स्थिति बनी। स्पेसक्राफ्ट ठीक ढंग से ऑर्बिट चेंज नहीं कर पाया। रूसी स्पेस एजेंसी की कमांड और कंट्रोल टीम स्थिति का एनालिसिस कर रही है। लूना को 21 अगस्त को चंद्रमा के साउथ पोल पर बोगुस्लावस्की क्रेटर के पास लैंड करना है।
रूसी स्पेस एजेंसी रॉस्कॉस्मॉस बताया कि लूना-25 के फ्लाइट प्रोग्राम के अनुसार स्पेसक्राफ्ट को प्री-लैंडिंग कक्षा (18 Km x 100 Km) में प्रवेश कराने के लिए कमांड दिया गया था। ये कमांड भारतीय समयानुसार शनिवार दोपहर 04:30 बजे दिया गया था। इस दौरान लूना पर इमरजेंसी कंडीशन बन गई क्योंकि स्पेसक्राफ्ट तय पैरामीटर के अनुसार थ्रस्टर फायर नहीं कर पाया।
लूना-25 स्पेसक्राफ्ट को 11 अगस्त को सोयूज 2.1बी रॉकेट के जरिए वोस्तोनी कॉस्मोड्रोम से लॉन्च किया गया था। लूना-25 को उसी दिन अर्थ की ऑर्बिट से चांद की तरफ भेज दिया गया था। स्पेसक्राफ्ट 16 अगस्त को दोपहर 2:27 बजे चांद की 100 किलोमीटर की ऑर्बिट में पहुंच गया था। अब ये 21 अगस्त को लैंड कर पाएगा या नहीं अभी ये साफ नहीं है।
रूस ने 47 साल बाद चांद पर अपना मिशन भेजा है। इससे पहले उसने 1976 में लूना-24 मिशन भेजा था। लूना-24 चांद की करीब 170 ग्राम धूल लेकर सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस पहुंचा था। अभी तक जितने भी मून मिशन हुए हैं वो चांद के इक्वेटर पर पहुंचे हैं, यह पहली बार होगा कि कोई मिशन चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग करेगा।
भारत की स्पेस एजेंसी इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन को 14 जुलाई 2023 को लॉन्च किया था। फ्यूल का कम इस्तेमाल हो और कम खर्च में यान चंद्रमा पर पहुंच जाए इसलिए उसने पृथ्वी की ग्रैविटी का इस्तेमाल किया है। इस प्रोसेस में फ्यूल तो बच जाता है, लेकिन समय ज्यादा लगता है। इसलिए चंद्रयान को चांद पर पहुंचने में ज्यादा टाइम लग रहा है।
लूना-25 चंद्रमा के बोगुस्लावस्की क्रेटर के पास लैंड करेगा। इसके कोऑर्डिनेट 72.9˚S और 43.2˚E हैं। जबकि चंद्रयान मैंजिनस U क्रेटर के पास लैंड करेगा। इसके कोऑर्डिनेट 69.36˚S और 32.34˚E हैं। इन दोनों क्रेटर्स के बीच की दूरी 100 Km से ज्यादा है। लूना की लैंडिंग साइट पर सूर्य की रोशनी भी चंद्रयान की लैंडिंग साइट से पहले पहुंचेगी।
चांद की मिट्टी के नमूने लेकर बर्फ की उपस्थिति का पता लगाना
अपनी लेटेस्ट सॉफ्ट-लैंडिंग और दूसरी स्पेस टेक्नोलॉजी की टेस्टिंग
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सोलर विंड के असर को देखने के लिए प्लाज्मा-धूल का अध्ययन
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रूस का लूना-25 मिशन चांद पर उसके फुली ऑटोमेटेड बेस बनाने के प्रोग्राम का हिस्सा है। रॉस्कॉस्मोस के हेड यूरी बोरिसोव ने बताया कि 2027, 2028 और 2030 में लूना के तीन और मिशन लॉन्च किए जाएंगे। इसके बाद हम चीन के साथ अगले फेज में एंटर करेंगे। इस फेज में हम चांद पर मैन्ड मिशन भेजेंगे और लूनर बेस भी बनाएंगे।