लूना-25 क्रैश होने के बाद अस्पताल में भर्ती हुए रूसी साइंटिस्ट, कहा- इसे झेलना मुश्किल हो रहा मेरे जिंदगी के लिए

 

विदेश:  20 अगस्त को रूस का मून मिशन लूना-25 चांद पर लैंडिंग से पहले ही क्रैश हो गया। इससे मिशन पर काम करने वाले 90 साल के साइंटिस्ट और एस्ट्रोनॉमर मिखाइल मारोव की तबियत बिगड़ गई है। न्यूज वेबसाइट ‘इंडिपेंडेंट’ की रिपोर्ट के मुताबिक उन्हें मॉस्को में एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। रूसी मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा- ‘ये मेरे लिए जिंदगी का सवाल था। इसे झेलना मुश्किल हो रहा है।’

मारोव सिर्फ लूना-25 ही नहीं, बल्कि रूस के पहले किए गए मून मिशन में भी अहम भूमिका निभा चुके हैं। उन्होंने कहा- ‘मेरे लिए ये लूनर प्रोग्राम को फिर से शुरू होते देखने का आखिरी मौका था। इसमें जो भी गड़बड़ हुई उसकी बारीकी जांच की जाएगी।’

 

स्पेस एजेंसी रॉस्कॉस्मॉस ने रविवार को लूना-25 के क्रैश होने की जानकारी दी थी। स्पेस एंजेसी ने बताया कि शनिवार शाम 05:27 बजे उसका स्पेसक्राफ्ट से संपर्क टूट गया था। प्री-लैंडिंग ऑर्बिट बदलने के दौरान इसमें गड़बड़ी हुई थी। लूना को 21 अगस्त को चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड होना था।

स्पेस एजेंसी ने कहा कि शुरुआती एनालिसिस के नतीजों से पता चलता है कि कैलकुलेशन से जो पैरामीटर सेट किए गए थे उन पैरामीटरों से स्पेसक्राफ्ट डेविएट हो गया। कैलकुलेटेड वैल्यू जितनी चाहिए थी ये उससे ज्यादा थी। इससे थ्रस्टर ज्यादा देर के लिए फायर हुए और स्पीड कम होने से स्पेसक्राफ्ट एक ऑफ-डिजाइन ऑर्बिट में चला गया और चांद पर क्रैश हो गया।

 

रूस ने 47 साल बाद चांद पर अपना मिशन भेजा था। इससे पहले उसने 1976 में लूना-24 मिशन भेजा था। लूना-24 चांद की करीब 170 ग्राम धूल लेकर सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस पहुंचा था। अभी तक जितने भी मून मिशन हुए हैं, वो चांद के इक्वेटर पर पहुंचे हैं, यह पहली बार था कि कोई मिशन चांद के साउथ पोल पर लैंड करने वाला था।

भारत की स्पेस एजेंसी इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन को 14 जुलाई 2023 को लॉन्च किया था। फ्यूल का कम इस्तेमाल हो और कम खर्च में यान चंद्रमा पर पहुंच जाए इसलिए उसने पृथ्वी की ग्रैविटी का इस्तेमाल किया है। इस प्रोसेस में फ्यूल तो बच जाता है, लेकिन समय ज्यादा लगता है। इसलिए चंद्रयान को चांद पर पहुंचने में ज्यादा टाइम लग रहा है।

 

लूना-25 मिशन का मकसद क्या था

  • चांद की मिट्टी के नमूने लेकर बर्फ की उपस्थिति का पता लगाना
  • अपनी लेटेस्ट सॉफ्ट-लैंडिंग और दूसरी स्पेस टेक्‍नोलॉजी की टेस्टिंग
  • साउथ पोल पर मिट्टी की फिजिकल-मैकेनिकल प्रॉपर्टी का अध्ययन
  • सोलर विंड के असर को देखने के लिए प्लाज्मा-धूल का अध्ययन
  • डीप स्पेस और दूर के ग्रहों की खोज के लिए एक लॉन्चिंग पैड

 

रूस का लूना-25 मिशन चांद पर उसके फुली ऑटोमेटेड बेस बनाने के प्रोग्राम का हिस्सा था। रॉस्कॉस्मोस के हेड यूरी बोरिसोव ने बताया कि 2027, 2028 और 2030 में लूना के तीन और मिशन लॉन्च किए जाएंगे। इसके बाद हम चीन के साथ अगले फेज में एंटर करेंगे। इस फेज में हम चांद पर मैन्ड मिशन भेजेंगे और लूनर बेस भी बनाएंगे।

लूना-25 चंद्रमा के बोगुस्लावस्की क्रेटर के पास लैंड करने वाला था, जबकि चंद्रयान मैंजिनस U क्रेटर के पास लैंड करेगा। इसके कोऑर्डिनेट 69.36˚S और 32.34˚E हैं। इन दोनों क्रेटर्स के बीच की दूरी 100 Km से ज्यादा है। अब अगर चंद्रयान-3 मिशन सक्सेसफुल होता है तो भारत चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश बन जाएगा।

 

शिकागो युनिवर्सिटी के इकोनॉमिस्ट कोंसटेंटिन सोनिन ने कहा है कि लूना-25 पुतिन का महात्वाकांक्षी प्रोजेक्ट था, जो वैज्ञानिकों और देश के बुद्धिजीवी लोगों के उत्पीड़न के बीच किया जा रहा था। सोवियत काल में भी नेताओं में महत्वाकांक्षाएं थीं। हालांकि, उससे वैज्ञानिकों और बुद्धिजीवियों को स्पेस में जाने का अपना सपना पूरा करने में ही मदद मिली। पुतिन केवल उनका शोषण कर रहे हैं।

हाल ही में रूस ने हाइपरसोनिक मिसाइल की टेक्नॉलोजी पर काम करने वाले अपने 3 वैज्ञानिकों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा शुरू कर दिया है। इन तीनों पर चीन को मिसाइल टेक्नोलॉजी से जुड़ी गुप्त जानकारी देने के आरोप लगाए गए हैं। तीनों साइबेरियाई शहर नोवोसिबिर्स्क में एक संस्थान में काम करते थे।

 

पहले वैज्ञानिक अनातोली की कस्टडी को 10 नवंबर तक बढ़ाया गया है। ट्रायल की जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाएगी। मीडिया को भी इससे दूर रखा गया है। वहीं, वैज्ञानिकों के वकीलों को भी कुछ भी कहने से इनकार किया गया है। तीनों को पिछले साल जून में गिरफ्तार किया गया था। तब से 76 साल के अनातोली को 2 बार हार्ट अटैक आ चुका है। उनकी तबीयत लगातार खराब रहती है।

रूस के राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन ने बयान जारी कर बताया है कि तीनों वैज्ञानिकों (अनातोली, अलेक्जेंडर और वैलेरी) के खिलाफ आरोप बहुत गंभीर हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक तीनों वैज्ञानिकों पर 2017 में चीन में हुई एक कॉन्फ्रेंस में मिसाइलों के सीक्रेट्स बेचने के आरोप लगे हैं।
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