पाकिस्तान बोला- ब्रिक्स में शामिल होने की नहीं दी अर्जी, हमने दुनिया में शांति-एकजुटता बढ़ाने में सहयोग दिया

 

विदेश: ब्रिक्स में शामिल होने वाले नए देशों में पाकिस्तान का नाम न होने के बाद, पड़ोसी मुल्क ने कहा है कि उन्होंने कभी ब्रिक्स में शामिल होने के लिए औपचारिक तौर पर अप्लाई ही नहीं किया। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने कहा- जोहान्सबर्ग में हुए ब्रिक्स समिट पर हमारी नजर थी। इसमें नए बदलावों को स्टडी करने के बाद ही संगठन के साथ अपने भविष्य को लेकर फैसला करेंगे।

 

मुमताज ने कहा- ब्रिक्स अलग-अलग देशों को संगठन में शामिल करने के लिए खुला है। पाकिस्तान हमेशा से इस विचार का समर्थक रहा है। हमने हमेशा से वैश्विक शांति और विकास में अहम भूमिका निभाई है। विदेश मंत्रालय ने कहा- पाकिस्तान भी दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण विकासशील देश है, जिसने ग्लोबल साउथ के देशों में शांति, सहयोग और एकजुटता को बढ़ाने के लिए अपना योगदान किया है।

 

मुमताज ने कहा- हम दुनिया में को-ओपरेशन और सहयोग बढ़ाने के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश करते रहेंगे। इससे पहले जून में पाकिस्तान ने ब्रिक्स में शामिल होने की इच्छा जताई थी। एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि पाकिस्तान ने अगस्त के ब्रिक्स समिट के वक्त संगठन में शामिल होने के लिए अर्जी दी थी।

 

फाइनेंस सबसे बड़ी वजह है। BRICS सीधे तौर पर दुनिया का सबसे संपन्न माने जाने वाले आर्थिक संगठन G7 को टक्कर देता है। GDP पर क्रय शक्ति के मामले में चीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, भारत तीसरी, रूस छठी और ब्राजील आठवीं है। सारे ब्रिक्स देशों की दुनिया की GDP में 31.5 % की हिस्सेदारी है। ऐसे में पाकिस्तान को इसमें शामिल करने से संगठन आर्थिक रूप से कमजोर होगा।

 

ब्रिक्स समिट के आखिरी दिन यानी 24 अगस्त को संगठन के देशों ने 6 नए मेंबर्स को शामिल होने की घोषणा की थी। इनमें अर्जेंटीना, सऊदी अरब, UAE, मिस्र, इथियोपिया और ईरान शामिल हैं। ये 1 जनवरी 2024 से BRICS के परमानेंट मेंबर बन जाएंगे। साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने बताया था कि पहले फेज की बैठक में इन देशों को संगठन का मेंबर बनने का न्योता दिया गया है।

 

जिन देशों को ब्रिक्स का न्योता मिला था, उन्हें PM मोदी ने बधाई दी थी। उन्होंने कहा था- भारत ने ब्रिक्स विस्तार का हमेशा समर्थन किया। इन सभी देशों से हमारे गहरे और ऐतिहासिक रिश्ते हैं। मुझे खुशी है कि 3 दिन की बैठक में कई पॉजिटिव रिजल्ट्स मिले हैं।

 

मोदी ने पश्चिमी देशों के दबदबे वाले संगठनों का नाम लिए बगैर कहा था- ब्रिक्स का विस्तार ये जाहिर करता है कि दुनिया के बड़े संगठनों को समय के साथ बदलना चाहिए। वहीं, जो भी देश पहले फेज में इस संगठन से नहीं जुड़ पाए हैं, उनको इसकी सदस्यता दिलाने के लिए भारत पहल जारी रखेगा।

 

भारत की विदेश नीति दुनिया पर किसी एक देश के दबदबे के खिलाफ है। भारत एक मल्टीपोलर दुनिया का समर्थन करता है। ऐसे में भारत के लिए BRICS जरूरी है। इसकी बड़ी वजह ये भी है कि इसके मंच से भारत पश्चिमी देशों के दबदबे के खिलाफ खुलकर बोल सकता है और उसे दूसरे सदस्य देशों का समर्थन मिलता है। इस संगठन से जुड़कर भारत कई बड़े संगठनों जैसे WTO,वर्ल्ड बैंक और IMF में विकसित देशों के दबदबे को खुलकर चुनौती देता है।

 

 

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